ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर पर रन करने वाला सबसे महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर है. यह कंप्यूटर की मेमोरी और प्रोसेस के साथ-साथ कंप्यूटर को हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को मैनेज भी करता है. यह आपको कंप्यूटर के साथ इंटरैक्ट करने की अनुमति देता है.
अगर आप नहीं जानते की ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है (What is Operating System in Hindi) तो कोई बात नहीं क्यों की आज के इस पोस्ट को पढ़ कर आप अच्छे से समझ जाएंगे.
इसके साथ आप ये भी जान जायेंगे की ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार क्या क्या होते हैं (Types of operating system in Hindi) और ये काम कैसे करता है? इन सारे सवालो का जवाब ये पोस्ट पूरा पढते पढते आपको मिल जाएगा.
दोस्तों इंसान के शरीर में बहुत से पार्ट्स हैं जो ज़िंदा रहने के लिए जरुरी हैं. लेकिन आत्मा ऐसी चीज़ है जो न रहे तो इंसान का शारीर किसी काम का नही.जब तक आत्मा होती है पूरा शरीर काम करता है.
भले ही कोई पार्ट काम करे या न करे, इंसान जिन्दा रहता है. ठीक उसी तरह कंप्यूटर में भी आत्मा की तरह ही एक चीज़ होती है जिसे हम ऑपरेटिंग सिस्टम कहते हैं.
कंप्यूटर क्या है ये तो आपको मालुम ही है. इसमें भी बहुत से पार्ट्स होते हैं. लेकिन जब तक ये नहीं होगा कंप्यूटर चलेगा ही नही.
ऑपरेटिंग सिस्टम का परिचय
ऑपरेटिंग सिस्टम एक सिस्टम सॉफ्टवेयर होता है जिसे शार्ट में हम OS भी बोलते हैं. एक तरह से ये कंप्यूटर में आत्मा की तरह ही होता है. जिसके बिना कंप्यूटर बिलकुल काम नहीं कर सकता.
ये कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बिच सभी कामो का संचालन करता है. ये हार्डवेयर और उयोगकर्ता users यानि हमारे बिच एक तरह का इंटरफ़ेस होता है जो हमें एक दूसरे से जोड़ता है.
इसे यूँ कहे तो एक आधार है जिस की वजह से सारे सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर काम करते हैं. जितने भी हार्डवेयर होते हैं जैसे Keyboard, Mouse, Printer और सॉफ्टवेयर जैसे MS Office, Photoshop और chrome सभी ऑपरेटिंग सिस्टम पर ही काम करती है.
उदाहरण के लिए हम एक घर ही ले लेते हैं. अगर घर बनाने के लिए ज़मीन ही न हो तो फिर ईंट, सीमेंट, रेत रहने से भी क्या फायदा? अब आप ही बताओ मुझे क्या आप घर बना लोगे बिना ज़मीन के?
आपका जवाब होगा नहीं! ठीक उसी तरह आप कंप्यूटर चलाना चाहते है, आपके पास mouse, keyboard, printer सभी चीज़ें है लेकिन OS install किया हुआ नहीं है, तो जी हाँ अपने सही समझा की कंप्यूटर on ही नही होगा.
अगर आप शॉप से जाकर नया कंप्यूटर लेते हैं तो उसमे विंडोज 7 या 10 इनस्टॉल कर के देते हैं. मान लीजिए अगर आप बिना विंडोज इनस्टॉल किये उसे घर ले जाते हैं फिर आप समझ ले की आपको शॉप दुबारा जाना पड़ेगा.
क्यों की आपका कंप्यूटर इसके बिना on होगा ही नहीं.
MS-Word, VLC player ये सब एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर होते हैं. जिस पे हम काम करते हैं और जिस सॉफ्टवेयर से कंप्यूटर काम करता है उसे ही सिस्टम सॉफ्टवेयर बोलते हैं.
सिस्टम सॉफ्टवेयर यहाँ OS ही है. अब आप समझ गए होंगे ये क्या है चलिए इसके बारे में कुछ और जानकारी लेते हैं.
ऑपरेटिंग सिस्टम के क्या फंक्शन हैं – Function of Operating System in Hindi
इस की वजह से ही कंप्यूटर काम करता है लेकिन ये खुद कैसे काम करता है ये जानना भी जरुरी है. जब कंप्यूटर start होता है तब से लेकर कंप्यूटर के off होने तक सारे काम को अपने ऊपर संभाल कर ये कैसे चला पाता है. ये सोचने वाली बात है. तो चलिए जानते हैं की कंप्यूटर के फंक्शन क्या होते हैं (Function of Computer in Hindi).
- Memory management
- Processor management
- File management
- Device management
- Security
- Control over System Performance
- Job Accounting
- Error detecting Aids
- Coordination between other software and users
Memory Management
प्राइमरी मेमोरी और सेकेंडरी मेमोरी को मैनेज करने के प्रोसेस को ही मेमोरी मैनेजमेंट बोलते है. प्राइमरी मेमोरी जिसे हम RAM के नाम से जानते हैं जो की volatile मेमोरी होता है. और जो भी डाक्यूमेंट्स में काम करते हैं उसे ये temporary store करता रहता है. Main मेमोरी में words या फिर bits के बहुत सारे array होते हैं जिनमे से हर एक का अपना एक address होता है. Main memory जो होता है वो बहुत ही fast होता जिसे CPU से डायरेक्ट एक्सेस कर सकते हैं.
जब हम किसी सॉफ्टवेयर को डबल क्लिक कर के ओपन करते हैं तो उसका में memory में होना जरुरी है. एक हलकी झलक देख लेते हैं की ये और क्या क्या काम करता है.
- प्राइमरी मेमोरी के हर स्टेप को ये रिकॉर्ड करता है. जैसे कितने मेमोरी का प्रयोग हो रहा है और कौन इस्तेमाल कर रहा है. जैसे हम chrome इस्तेमाल करते हैं तो वो कितना मेमोरी खा रहा है और साथ ही म्यूजिक प्लेयर चल रहा है तो वो भी अलग से RAM की कुछ मेमोरी को इस्तेमाल करेगा. ये सारी जानकारी को ये दिखाता है.
- Multi programming में OS ये निर्णय लेता है की कौन से प्रोसेस को कितना मेमोरी और कब देना है.
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जब अलग अलग प्रोग्राम को स्टार्ट किया जाता है तो प्रोग्राम के लिए मेमोरी को डिस्ट्रीब्यूट करता है.
- जब कोई प्रोग्राम बंद होता है तो ये मेमोरी को वापस conserve करता है.
Processor Management
Multi programming environment में ऑपरेटिंग सिस्टम ये decide करता है की किस प्रोसेस को प्रोसेसर उपयोग करने के लिए देना है कब देना और कितने देर के लिए देना है. इस function को process scheduling भी बोलते है. ये प्रोसेस मैनेजमेंट करने के लिए निचे दी गई activities को परफॉर्म करता है.
- OS प्रोसेसर के सारे काम को track करता रहता है और हर प्रोसेस के status को रिकॉर्ड करता रहता है.
- इस टास्क को जो चलाते है उसे ट्रैफिक कंट्रोलर कहा जाता है.
- येकिसी प्रोसेस के लिए प्रोसेसर को डिस्ट्रीब्यूट करता है.
- जब कोई प्रोसेस होना बंद होता है तो उसे वापस ले लेता है.
Device Management
आपको ये तो मालुम होगा की हर इनपुट और आउटपुट डिवाइस इनस्टॉल करने के लिए साथ में ड्राइवर मिलता है. इन सभी इनपुट या एक्सटर्नल डिवाइस प्रयोग करने के पहले हमें ड्राइवर इनस्टॉल करना पड़ता है.
अगर आप ड्राइवर इनस्टॉल नहीं करते हैं तो कंप्यूटर उस डिवाइस को पहचान नहीं पाता है. और इसकी वजह से डिवाइस काम भी नहीं करती.
वैसे लगभग विंडोज 7 तक के OS में ड्राइवर सभी devices के लिए इनस्टॉल करना होता था लेकिन अभी के लेटेस्ट विंडोज में बहुत कम devices के लिए ड्राइवर इनस्टॉल करने पड़ते हैं.
ये डिवाइस कम्युनिकेशन को उसके ड्राइवर के जरिये मैनेज करता है. चलिए देख लेते हैं की आखिर operating system device management कैसे काम करता है.
- ये सभी devices को ट्रैक करता है. devices को मैनेज करने के लिए जिस प्रोग्राम को इस्तेमाल करता है उसे I/O कंट्रोलर कहा जाता है.
- OS इसका भी निर्णय लेती है की कौन से प्रोसेस को डिवाइस कब और कितने समय के लिए देना है. उदाहरण के लिए हम फोटोशोप प्रोग्राम को लेते हैं. उसमे फोटो प्रिंट करने के लिए जैसे ही प्रिंट पर क्लिक करते हैं तो OS प्रिंटर जो की एक आउटपुट डिवाइस है उसे उस प्रोसेस करने के लिए थोड़ी देर के लिए execute करता है. जब फोटो प्रिंट हो जाता है तो फिर वो डिवाइस को वापस ले लेता है.
- जितना हो सके उतनी ही देर डिवाइस को प्रयोग करता है जैसा की मैंने ऊपर के उदारण में बताया है.
- Device जब काम पूरा कर लेता है तो फिर उसे inactive कर के रखता है.
File Management
फाइल को आसानी से प्रयोग करने के लिए हम फोल्डर बनाकर उसके अंदर रखते हैं. इससे हमें किसी भी फाइल को केटेगरी wise फोल्डर बनाकर रख के कभी भी उयोग करने में आसानी होती है. Directory को ही हम फोल्डर भी बोलते है.
फ़ोल्डर के अंदर और भी फोल्डर और फाइल बनाकर रखते है। इस तरह से और भी काम कौन कौन से काम OS करता है ये हम जानते हैं.
- ये हर इनफार्मेशन को ट्रैक करता है. इसके साथ ही फाइल का लोकेशन क्या है, फाइल कब बना कितने साइज का है, किस यूजर ने बनाया था ये सारी जानकारी भी ये रखता है. इस सारे प्रोसेस को जो प्रोग्राम परफॉर्म करता है उसे हम फाइल सिस्टम बोलते है.
- OS ये decide करता है की किसको resource मिलेंगा.
- Resource को आपस में बाँट देता है.
- जब उपयोग में न हो तो resources को वापस ले लेता है.
Security
जब हम और कंप्यूटर उपयोग करते हैं तो चाहते हैं की सिर्फ हम ही उयोग कर सके. तो इसके लिए ये हमें सिक्योरिटी भी देती है.
हम अपने लिए users क्रिएट कर सकते हैं और उसे पासवर्ड डाल कर सेफ भी रख सकते हैं. और अगर एक से ज्यादा यूजर हैं तो भी हम अपने लिए एक पर्सनल यूजर अलग से बनाकर उपयोग कर सकते हैं.
इससे ये फायदा होता है की सिस्टम तो वही होता है लेकिन हमारे पर्सनल डाटा को हम छुपा के, सुरक्षित और lock कर के आसानी से रख सकते हैं. ये ऑपरेटिंग सिस्टम हमें सारी सुविधाएं देता है.
Control over system performance
कभी कभी आपके साथ भी ऐसा हुआ होगा की आपने किसी प्रोग्राम को शुरू करना चहा होगा और वो थोड़ी देर बाद शुरू हुआ हो.
या फिर अपने किसी फाइल को स्टोर करने की कोशिस की होगी और वो बहुत देर तक प्रोसेस कर रही होगी. इन सभी परफॉरमेंस में होने वाले delays या देरी को OS रिकॉर्ड करता है और ये भी रिकॉर्ड करता है की किसी प्रोसेस को पूरा करने के लिए सिस्टम ने कितने देर बाद response किया.
Job Accounting
OS बहुत सारे काम तो करता है साथ ही ये भी काम करता है की किसी यूजर ने कंप्यूटर शुरू होने के बाद बंद करने तक कौन कौन से काम किये. और ये भी ट्रैक करता है की किस फाइल में काम किया है.
Error Detecting Aids
काम करते करते बहुत बार ऐसा होता है की सॉफ्टवेयर और प्रोग्राम हैंग हो जाते हैं. और ये भी होता है की कुछ error होने की वजह से बिच में ही सॉफ्टवेयर बंद हो जाता है. इन सारी errors को भी OS ट्रैक कर के रखता है.
Coordination Between other Softwares and Users
कंप्यूटर के अंदर जो प्रोग्रामिंग लैंग्वेज काम करते हैं उनके और users के दिए हुए कमांड्स और इनपुट के बिच में OS ही co-ordination बनाता है.
जैसे जम हम “आ” टाइप करते हैं तो उसे सिस्टम (0,1) कोड के अनुसार समझता है की हमने क्या लिखा है. फिर उसे प्रोसेस कर के प्रोग्रामिंग लैंग्वेज समझता है फिर उसे समझ के आउटपुट डिवाइस के जरिये हमें शो करा देता है.
ये सारे परफॉरमेंस के लिए बिच में जो काम करने का प्लेटफार्म देता है वो OS ही होता है.
ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार – Types of Operating System in Hindi
दुनिया में हर रोज़ कुछ न कुछ बदलाव होता रहता है. ठीक उसी तरह कंप्यूटर के OS भी बदलती रहते हैं. टेक्नोलॉजी और एडवांस होती जा रही है.
अब तो ऐसा दौर आ चुका है की अभी आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस पर भी साइंटिस्ट ने काफी सफलता पा ली है.
अब अगर OS में बदलाव न हो तो ये मुमकिन नहीं है. नासा तो अब मंगल तक पहुँच चुका है. तो आप इसका अंदाज़ा इसी से लगा सकते हैं की क्या आप घर में जो ऑपरेटिंग सिस्टम इस्तेमाल करते हैं उसका इस्तेमाल राकेट साइंस में होता होगा?
जी नहीं इसके लिए बहुत ही एडवांस OS जो अल्टीमेट फीचर्स वाले होते हैं उनका इस्तेमाल किया जाता है. इसी बात से आप समझ गए होंगे की ये सिर्फ एक तरह का नहीं होता.
इसकी उपयोग और जरूरत के अनुसार इसके अलग अलग प्रकार होते हैं. जैसी जरुरत वैसे इस का इस्तेमाल किया जाता है. तो चलिए जानते हैं की ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार कितने है.
- Batch operating System
- Network Operating System
- Time-Sharing Operating System
- Distributed Operating System
- Real-Time Operating System
Batch operating System
बैच ऑपरेटिंग सिस्टम में यूजर कंप्यूटर के साथ डायरेक्टली इंटरैक्ट नहीं करते हैं. इसमें एक ऑपरेटर होता है जो एक तरह के jobs को ग्रुप कर के जरूरत के अनुसार batches बना देती है.
एक तरह के जरूरत वाले jobs को छांट कर के अलग अलग बैच में बनाना ऑपरेटर की जिम्मेदारी होती है.
Batch Operating System के फायदे
- ये जानना बहुत मुश्किल होता है किसी जॉब को complete होने में कितना टाइम लगेगा, बैच सिस्टम के प्रोसेसर ही जानते हैं की लाइन में लगे हुए जॉब को कम्पलीट होने में कितना टाइम लगेगा.
- इस सिस्टम को बहुत सारे यूजर शेयर कर सकते हैं.
- Batch system idle time बहुत कम होता है.
- इस सिस्टम में बार बार बड़े कामो को आसानी से मैनेज करने की capacity होती है.
Disadvantages of Batch System
- कंप्यूटर और यूजर के बिच डायरेक्ट इंटरेक्शन नहीं होता.
- कंप्यूटर ऑपरेटर्स को बैच सिस्टम के बारे में बहुत अच्छी जानकारी होना जरुरी है.
- Batch system को debug करना बहुत बड़ी प्रॉब्लम होती है.
- ये महँगा होता है.
- जब कोई जॉब एक बार फेल हो जाता है तो उसे दुबारा कम्पलीट करने के लिए लाइन में लगना पड़ता है. उसके कम्पलीट होने में काफी समय लग सकता है.
Network Operating System
ये सिस्टम सर्वर पर काम करते हैं। जिन में data, user, groups, application, security, और बाकि सभी नेटव्रकिंग सिस्टम को मैनेज करने की क्षमता होती है.
किसी भी कम्पनी में अगर आप जायेंगे तो आपको वहाँ बहुत सारे कम्प्यूटर्स दिखेंगे जो एक प्राइवेट नेटवर्क के रूप में काम करते हैं. ये सारे कम्प्यूटर्स एक दूसरे से कनेक्टेड होते हैं.
इस तरह ये एक सर्वर के ऊपर काम करते हैं. इसमें आप फ़ाइल, प्रिंट, लोगिन किसी भी सिस्टम से एक्सेस कर सकते हैं.
उदाहरण: मैं एक ऑटोमोबाइल कंपनी में जॉब करता हूँ. यहाँ बहुत सारे कंप्यूटर सिस्टम हैं और सभी एक सर्वर से जुड़े हैं.
इस सर्वर पर स्टोर किये फाइल्स हम कहीं से भी खोल कर इस्तेमाल कर लेते हैं यानी किसी भी सिस्टम से हम सर्वर पर रखे फ़ाइल में काम कर लेते है.
यहाँ तक की प्रिंट निकालने के लिए भी किसी भी सिस्टम से जाकर हम कॉमन प्रिंटर से प्रिंट निकल लेते हैं. इसके अलावा एक ही लोगिन ID को किसी भी सिस्टम में लोगिन के लिए इस्तेमाल कर लेते हैं.
Advantages
- इसके centralized server बहुत स्थिर होते है
- सारे सिक्योरिटी issue को सर्वर से ही मैनेज किया जा सकता है.
- नए अपडेट को एक साथ सभी कम्प्यूटर्स में इम्प्लीमेंट आसानी से कर लिया जाता है.
- आप किसी भी सिस्टम से दूसरे सिस्टम में VNC की मदद से रिमोटली एक्सेस कर के काम कर सकते हैं.
Disadvantages
- इसमें उपयोग होने वाले सर्वर बहुत महंगे होते हैं.
- हर तरह के प्रोसेस के लिए सेंट्रलाइज्ड सिस्टम पर निर्भर रहना पड़ता है.
- इसकी मेंटेनेंस और उपदटेस रेगुलरली होना जरुरी है.
Time Sharing Operating System
इस तरह के इस में हर टास्क को पूरा करने के लिए कुछ टाइम दिया जाता है ताकि हर टास्क smoothly काम कर सके. इसमे हर यूजर सिंगल सिस्टम का इस्तेमाल करता है तो इससे CPU को टाइम दिया जाता है.
इस सिस्टम को Multitasking सिस्टम भी बोला जाता है.
इसमें जो टास्क होता है वो सिंगल यूजर से भी हो सकता या फिर मल्टी यूजर से भी हो सकता है.
इस में हर टास्क को execute करने के लिए जितना टाइम लगता है उसे quantum बोलते है. हर टास्क को कम्पलीट करने के बाद ये फिर अगले टास्क को शुरू कर देता है.
Advantages
- हर टास्क को पूरा करने के लिए बराबर मौका दिया जाता है.
- सॉफ्टवेयर के डुप्लीकेशन होने का बहुत कम चांस होता है.
- CPU idle time को इसमें कम किया जा सकता है.
Disadvantages
- इसमें reliability का प्रॉब्लम होता है.
- हर एक को इसमें security और integrity का ख्याल रखना पड़ता है.
- इसमे डाटा कम्युनिकेशन की प्रॉब्लम कॉमन है.
Time-sharing, operating system के उदाहरण हैं:- Unix
Distributed Operating System
कंप्यूटर टेक्नोलॉजी की दुनिया में इस तरह का सिस्टम एक एडवांस टेक्नोलॉजी है.
जो हाल ही में शुरू किया गया है. इसे पूरी दुनिया में अपनाया गया है और हर कोने में इस्तेमाल किया जाने लगा है.
जब बहुत सारे autonomous यानि इंडिपेंडेंट कम्प्यूटर्स को जोड़कर एक सिंगल सिस्टम की तरह इस्तेमाल किया जाता है तो इसे डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम बोला जाता है.
ऐसा बिलकुल भी जरुरी नहीं की सारे कम्प्यूटर्स एक ही जगह पर हों. ये अलग अलग जगह रह कर भी कनेक्टेड हो सकते हैं.
आपने LAN और WAN तो जरूर सुना होगा. अगर नहीं जानते तो मैं बता देता हूँ. जब बहुत सारे कम्प्यूटर्स एक ही जगह पर होते हैं और आपस में कनेक्टेड होते हैं तो इसे LAN डिस्ट्रीब्यूट्स सिस्टम कहेंगे.
जब बहुत सारे कम्प्यूटर्स अलग अलग जगहो से एक साथ कनेक्टेड होते हैं उसे WAN डिस्ट्रिब्यूटेड सिस्टम बोलते हैं.
Advtantages:
- अगर एक सिस्टम फेल हो जाता है तो पुरे नेटवर्क में कोई फर्क नहीं पड़ता है. सभी सिस्टम एक दूसरे से फ्री होते हैं डिपेंडेंट नहीं होते.
- Email से डाटा एक्सचेंज की स्पीड बढ़ जाती है.
- Resources shared होते हैं इसीलिए काम बहुत फ़ास्ट और बेस्ट होता है.
- Data load होने में बहुत कम समय लगता है.
- Data processing delay कम करता है
Real-Time Operating System
रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम ऐसा डाटा प्रोसेसिंग सिस्टम होता है जिसमे किसी इनपुट के लिए प्रोसेस और उसका रिस्पांस टाइम बहुत ही कम होता है.
या यूँ कहे तो इस तरह के सिस्टम का इस्तेमाल करके हम किसी डाटा को इंटरनेट से लाइव देखते हैं.
इस सिस्टम का इस्तेमाल कर के लंदन में बैठा एक स्पेशलिस्ट डॉक्टर अमेरिका में किसी मरीज का ऑपरेशन कर लेता है. इसके लिए वो रोबोटिक हाथों का इस्तेमाल करते हैं.
ये इसी सिस्टम की वजह से मुमकिन हो सका है
इसमें इनपुट करने के बाद आउटपुट होने तक के टाइम को Response time कहा जाता है.
इस तरह के सिस्टम का इस्तेमाल करने के कुछ उदारण ये हैं Scientific experiments, Medical Imaging system, Industrial control system,Weapons system,Robot, Air traffic control system इत्यादि.
Real-Time 2 तरह के होते हैं.
1. Hard Real-Time Systems
ये ऐसा सिस्टम है जिसमे समय सीमा होती है. जितना टारगेट टाइम दिया होता है वो उसी टाइम में अपना टास्क पूरा कर लेता है.
इसमें गलती होने की कोई गुंजाईश नहीं होती है.इस तरह के सिस्टम का इस्तेमाल Life save करने के लिए किया जाता है.
जैसे parachutes, air bags, medical operation.तो अब आप समझ सकते हैं की इस तरह के सिस्टम कितने स्ट्रांग होते हैं.
2. Soft Real-Time Systems
इस तरह के सिस्टम में किसी तरह की समय सीमा नहीं होती है. अगर कोई टास्क चल रहा है तो वो ज्यादा टाइम भी ले रहा है तो इसमें कोई प्रॉब्लम नहीं होता है.
तो दोस्तों अब आप बहुत अच्छे तरीके से जान चुके हैं की ऑपरेटिंग सिस्टम कितने तरह के होते हैं. और बताये गए सभी प्रकार काफी महत्वपूर्ण हैं.
ये समझने के लिए की ऑपरेटिंग सिस्टम कैसे काम करता है चलिए अब आगे जानते हैं ऑपरेटिंग सिस्टम के कुछ charactristics.
ऑपरेटिंग सिस्टम की विशेषताएं – Characteristics of Operating system
- ऑपरेटिंग सिस्टम बहुत सारे सॉफ्टवेयर प्रोग्राम का एक ग्रुप होता है.जो आधार बनाता है जिसमे दूसरे प्रोग्राम रन कर सकते हैं
- जितने भी सॉफ्टवेयर होते हैं उन्हें इनस्टॉल करने के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम का होना बहुत जरुरी है.
- कंप्यूटर से कनेक्टेड सभी इनपुट और आउटपुट डिवाइस को ऑपरेटिंग सिस्टम ही कण्ट्रोल करता है.
- ये यूजर और हार्डवेयर के बिच इंटरफ़ेस के रूप में काम करता है. यानि हमारे किये जाने वाले कामों को जब कीबोर्ड और माउस से हम इनपुट करते हैं तो ऑपरेटिंग सिस्टम इसे कण्ट्रोल करता है और फिर इसे आउटपुट डिवाइस के जरिये हमें शो कर देता है.
- अगर हम अपने डाटा को सेफ्टी के साथ रखना चाहते हैं तो ये हमें सिक्योरिटी भी देता है. इसके लिए ये हमें बहुत सारे फीचर्स भी देता है.
दोस्तों अब आप बहुत अच्छे से समझ गए होंगे ये क्या काम करता है.
संक्षेप में
मुझे उम्मीद है की आप ये सारी जानकारी ले चुके हैं. हर दिन टेक्नोलॉजी में होने वाले बदलाव के साथ इस में भी रोज़ कुछ नया सुधार होता जा रहा है.
इसके लगातार अपडेट करने से अक्सर हमें बहुत सारे नए फीचर्स मिलते हैं. तो दोस्तों आज की ये पोस्ट आपको कैसी लगी?
दोस्तों आज की जानकारी काफी इम्पोर्टेन्ट है अगर आप कंप्यूटर रिलेटेड कोर्स और ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे में स्टडी कर रहे हैं तो ये आपके लिए जानना बहुत जरुरी है की ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है (What is operating system in Hindi).
साथ ही इसकी भी जानकारी लेनी जरुरी है की ऑपरेटिंग सिस्टम कितने प्रकार के होते हैं (types of operating system in Hindi).
उम्मीद करता हूँ की आपको ये जानकारी अच्छी लगी होगी. अच्छी लगी हो तो पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करे.
Bahut hi badiya article full descriptive.
Thanks for sharing
Thank you bhupinder operating system kya hai is post ko like karne ke liye auir is par comment kar ke achha feedback dene ke liye.
Thank you for reading this and appreciating this. Please visit again.
Bahut Hi Good Blog Hai Apka Aur Aap Bahut Achi Jankari Share Karte Hai
Thank you kuldeep singh ji appreciate karne ke liye. Hum aur bhi mehnat karenge taki apko achi jankari mil sake.
sir ji apne blog me traffice kse increase kre
me 1 month se blog me reqular post krta hu
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Blogging me achhi success paane me time lagta hai. Itni jaldi traffic nahi aati hai kam se kam 6- 12 month lagenge aur aap top level domain ka istemal kare blog ke liye.
Thanks sir
Thanks sir
Thanks
Welcome
Nice article
bahut achhi jankari di hai aapne.
Dhanyavaad
First time operating system ka sahi content mila. Thanks
Mobile os aur pc os me kya difference hota hai
Mobile ke operation system mobile ke liye hi banaye jate hain jaise ios, android, symbian etc. Computer me kaam karne ke liye alag os hote hain jaise windows, ms dos etc.