केवाईसी का मतलब होता है अपने ग्राहक को पहचानना. यानी कि जब कोई संगठन या फिर संस्थान के पास ग्राहक होते हैं तो उन्हें हर ग्राहक के बारे में जानकारी रखना जरूरी है.
जानकारी के अंतर्गत ग्राहक का नाम क्या है, उसका पता क्या है, उसकी उम्र क्या है, उसका लिंग क्या है, उसकी जन्म तिथि क्या है.
यह सब जानकारी रखने के लिए उससे Valid डॉक्यूमेंट की मांग करते हैं जिससे कि यह प्रमाणित हो सके कि यह सभी जानकारी सही है. दी गई सारी जानकारी को उनके दस्तावेजों से मिलाकर वेरीफाई किया जाता है की सभी तथ्य सही है. इसी को केवाईसी कहते हैं.
कुछ वक्त पहले जब हम सिम कार्ड या फिर बैंक अकाउंट खोलते थे तो हमें बस एक डॉक्यूमेंट से ही काम चल जाता था.
आज सारे काम ऑनलाइन होते जा रहे हैं. यहां तक कि अब हमें बिल पेमेंट करना हो, शॉपिंग करनी हो या फिर मोबाइल रिचार्ज करना हमें दुकान भी जाने की जरूरत नहीं पड़ती है. हम घर बैठे ही यह सारे काम कर लेते हैं.
लेकिन अगर अभी आप किसी बैंक में जाएंगे और कहेंगे कि मुझे नया अकाउंट खुलवाना है तो आपसे KYC के लिए जरूर पूछा जाएगा. यहां तक कि जब हम ऑनलाइन किसी एप में बैंक अकाउंट, वॉलेट अकाउंट इत्यादि खोलते हैं वहां भी हमें KYC कराना अनिवार्य हैं.
इसका कारण यह है कि भारतीय सरकार ने हर तरह के अकाउंट जिसमें पैसों का ट्रांजैक्शन किया जाता है उसमें KYC कंपलसरी कर दिया गया है. आज भी बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिन्हें KYC क्या होता है यह मालूम ही नहीं है. उन्होंने तो इसका नाम मुश्किल से ही सुना है.
अगर आपको इसके बारे में भी कुछ जानकारी नहीं है तो कोई प्रॉब्लम नहीं है क्योंकि हम आगे आपको बताने वाले हैं कि KYC क्या होता है.
इसके अलावा हम यह भी आपको बताएंगे कि केवाईसी का फुल फॉर्म क्या है क्योंकि आज भी बहुत सारे लोग ऐसे हैं जिनको इस का फुल फॉर्म पता ही नहीं है.
केवाईसी की जानकारी
जब शुरुआत में केवाईसी के बारे में लोगों को बोला जाता था तो उन्हें यह सुनकर हैरानी होती थी कि हम तो पहले से ही डॉक्यूमेंट देते हैं और तभी सेवा का उपयोग करते हैं.
लेकिन किसी भी प्रकार की गैरकानूनी कामों को रोकने के लिए सरकार की तरफ से KYC को एक ऐसा प्रोसेस बना कर दिया गया जिससे सारे वेरीफिकेशन एक निश्चित तरीके से की जाए.
EKYC क्या है
KYC के तहत लोगों को सेवा का उपयोग करने के लिए अपने वैलिड डॉक्युमेंट की कॉपी को जमा करना होता है. उसके बाद जो भी दस्तावेज होता है उससे चेक किया जाता है. लेकिन जब यही सारी प्रक्रिया इलेक्ट्रॉनिक तरीके से की जाती है तो इससे ईकेवाईसी कहा जाता है.
KYC का फुल फॉर्म – Full Form of KYC in Hindi
Know Your Customer
अपने ग्राहक को जानो
वैसे तो सोचने में लग सकता है कि “Know Your Customer” यानी कि केवाईसी का कोई महत्व नहीं है लेकिन अगर देखा जाए तो यह बहुत ही महत्वपूर्ण है.
जब कोई संगठन या फिर कंपनी किसी इंसान के साथ में बिजनेस शुरू करती है तो उसके बारे में हर जानकारी लेना चाहती है.
आप भी जब किसी से कुछ व्यापार करते होंगे तो यह जरूर जाने की कोशिश करते होंगे कि आखिर जिस इंसान से आप बिजनेस कर रहे हैं वह इंसान कौन है कहां से आया है उसका इतिहास क्या है इत्यादि.
हम बिजनेस भी उसी से करते हैं जिस पर हम भरोसा करते हैं और इस भरोसा को बनाने के लिए हमें उसके बारे में जानकारी प्राप्त करनी होती है.
केवाईसी देखा जाए तो एक तरह से यह बैंक से जुड़ा हुआ प्रक्रिया होता है जो ग्राहकों की पहचान को स्थापित करने के लिए उपयोग किया जाता है.
सभी तरह के बैंक चाहे बड़े हो या छोटे और कंपनियां केवाईसी के बड़े समर्थक बन गए हैं. यह बैंकिंग संस्थानों, कंपनियों और बीमा एजेंसियों के लिए तेजी से पॉपुलर होता गया.
कुछ समय के लिए केवाईसी की जो भी पॉलिसी हुई उसका काफी विस्तार हुआ और वर्ल्ड लेवल पर यह बहुत ही इंपॉर्टेंट हो गया.
भ्रष्टाचार, आतंकवाद इत्यादि से जुड़े मामले प्रचलित होने के साथ केवाईसी की पॉलिसियों को अब इंटरनेशनल फाइनेंशियल सेक्टर में इलीगल ट्रांजैक्शन से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण हथियार के रूप में विकसित किया गया.
केवाईसी कंपनियों को यह सुनिश्चित करने की अनुमति देता है कि वह कानूनी रूप से और वैलिड ऑर्गनाइजेशन के साथ व्यापार कर रहे हैं और उन इंसानों की भी रक्षा करते जीने फाइनेंशियल गैरकानूनी कामों से नुकसान हो सकता है.
कई फाइनेंसियल ऑर्गेनाइजेशन ने बुनियादी डाटा इकट्ठा करके अपने ग्राहकों के बारे में जानकारी आईडियली इलेक्ट्रॉनिक रूप से उपयोग करके की प्रक्रिया शुरू करते हैं. कुछ देश ऐसे Customer Identification Program कहते हैं.
इसके अंतर्गत दी जाने वाली जानकारियों में नाम, सामाजिक सुरक्षा संख्या, जन्मदिन, पता शामिल होती है.
एक बार जब बेसिक डाटा इकट्ठा हो जाता है तो बैंक आम तौर पर इसकी तुलना उन इंसानों की सूची उस करते हैं जो भ्रष्टाचार के लिए जाने जाते हैं. यानी के कैसे लिस्ट तैयार होती है जिसमें जो पहले से करेक्टेड लोग हैं उनकी नामों की लिस्ट होती है.
अगर कोई इंसान पहले से भ्रष्टाचार के मामले में उस सूची में शामिल है या फिर किसी अपराध में शामिल होने का शक है, रिश्वत या मनी लॉन्ड्रिंग शामिल है तो फिर ऐसे इंसान के बारे में पता लगाया जाता है.
इसके बाद बैंक इस बात का पता लगाता है कि उस इंसान से कितना खतरा है और वे भ्रष्ट या फिर इलीगल एक्टिविटीज में शामिल होने की कितनी संभावना रखते हैं.
एक बार यह कैलकुलेशन हो जाने के बाद बैंक इस बात की सैद्धांतिक आउटलाइन बनाता है की आने वाले भविष्य में ग्राहक का खाता कैसा दिखना चाहिए.
एक बार खाते की एक्सपेक्ट रजिस्ट्री हो जाती है तो बैंक ग्राहक की खाता गतिविधि के लगातार निगरानी कर सकता है. और यह सुनिश्चित कर सकता है कि ग्राहक के खाते में किसी प्रकार की संदिग्ध गतिविधि नहीं हो रही है.
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केवाईसी के लिए जरूरी दस्तावेज कौन से हैं
अगर देखा जाए तो मुख्य रूप से जो दस्तावेज केवाईसी के रूप में ग्राहकों से मांगे जाते हैं वह यह है
पहचान पत्र (identification proof)
आज के समय में भारत में पहचान पत्र के रूप में जो सबसे मान्यता प्राप्त पहचान पत्र है वह है आधार कार्ड.
यानी कि अगर आपके पास आधार कार्ड है तो आप इसका इस्तेमाल किसी भी सरकारी सेवा, सिम कार्ड, गैस कनेक्शन, टेलीफोन कनेक्शन, यह किसी भी तरह के पहचान वेरिफिकेशन में इस्तेमाल कर सकते हैं.
इसके अलावा भी बहुत सारे पहचान पत्र है जो इस की गैरमौजूदगी में आप प्रयोग कर सकते हैं जैसे वोटर आईडी कार्ड, पैन कार्ड. ड्राइविंग लाइसेंस इत्यादि.
निवास का प्रमाण (address proof)
जब कोई संगठन या फिर कंपनी अपने ग्राहक के बारे में पता करती है तो पहचान के साथ उसके एड्रेस के बारे में भी जानने की कोशिश करती है. इंसान का अस्थाई या फिर स्थाई पता कहां है.
एड्रेस प्रूफ प्रमाणित करने के लिए अधिकतर आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड या फिर ड्राइविंग लाइसेंस का इस्तेमाल किया जाता है.
पैन कार्ड में पता प्रमाण नहीं दिया हुआ होता है इसीलिए पैन कार्ड का पहचान पत्र के रूप में किया जा सकता है ऐड्रेस प्रूफ के तौर पर नहीं किया जा सकता है.
जन्म प्रमाण पत्र (birth certificate)
कुछ ऐसी सेवा ही होती हैं जिन्हें प्राप्त करने के लिए आयु सीमा निर्धारित की जाती है.
ऐसी जगह में आयु प्रमाण पत्र देना जरूरी है जिससे कि पता चल सके कि व्यक्ति की उम्र कितनी हुई है. इसके लिए जन्म प्रमाण पत्र मुख्य रूप से इस्तेमाल किया जाता है.
Mobile Number
आज के समय में चाहे आधार कार्ड हो या फिर किसी भी तरह का बैंक अकाउंट उसमें एक मोबाइल नंबर हमें जरूर देना पड़ता है.
इस मोबाइल नंबर का इस्तेमाल करके ओटीपी भेजा जाता है और वेरीफाई किया जाता है कि यह उसी इंसान का नंबर है जिसका यह अकाउंट है.
ओटीपी वेरीफिकेशन एक तरफ से दो सौ परसेंट वेरीफाई करने का काम करती है जिसमें कि किसी भी प्रकार के संदिग्ध एक्टिविटी को ट्रैक किया जा सकता है.
इसीलिए आजकल हर जगह मोबाइल नंबर देना जरूरी है जो कि केवाईसी के लिए भी अनिवार्य हैं.
ईमेल आईडी (Email ID)
इसके अलावा किसी व्यक्ति के पास ईमेल आईडी है तो फिर उसके जरिए भी ओटीपी भेज कर वेरिफिकेशन करने की ऑप्शन होती है.
इसीलिए केवाईसी के तौर पर मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी दोनों का ओटीपी के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
फोटोग्राफ
इंसान की पहचान सिर्फ उसके नाम से ही नहीं बल्कि चेहरे से भी हो जाती है. वैसे तो आधार कार्ड में वेरीफिकेशन के तौर पर रेटिना स्कैन लिया जाता है.
लेकिन जहां भी केवाईसी किया जाता है वहां पर फोटोग्राफ का भी इस्तेमाल करके अपने ग्राहक की पहचान की जाती है.
ईकेवाईसी के लिए प्रोसेस
आजकल आप देख रहे हैं कि हर जगह बायोमेट्रिक का इस्तेमाल किया जाता है. इसके जरिए जो भी गैर कानूनी प्रक्रियाएं हैं उन पर काबू आसानी से किया जा सकता है.
मान लीजिए आप किसी कंपनी में काम करते हैं तो वहां पर अगर आप बायोमेट्रिक के जरिए अपना अटेंडेंस बनाते हैं तो इससे अनेक फायदे हैं.
जैसे कि अगर कोई इंसान अब्सेंट रहता है यानी कि अनुपस्थित होता है तो उसके जगह कोई दूसरा इंसान उसके हाजिरी नहीं बना सकता.
यह एक ठोस सबूत होता है कि इंसान मौके पर मौजूद था या नहीं था. अगर मौजूद था तो कितने बजे से कितने बजे तक था.
ईकेवाईसी एक ऐसा प्रोसेस है जिसमें इलेक्ट्रॉनिक तरीके से कैसे की जाती है.
जैसे कि आधार ईकेवाईसी जब आप सिम कार्ड खरीदने के लिए जाएंगे और अपने आधार कार्ड का इस्तेमाल करेंगे तो आपसे केवाईसी के तौर पर हो सकता है कि किसी भी प्रकार पेपर ना मांगे जाएं बल्कि बस आपके अंगूठे का इस्तेमाल करके आप की वेरिफिकेशन की जाती है.
जैसे ही आप आप अपने अंगूठे को स्कैन करवाते हैं आपकी सारी जो जानकारी होती है उनके पास चली जाती है. इसके लिए वह एक बार आपके ओरिजिनल आधार कार्ड को बस वेरीफाई करने के लिए देखते हैं.
EKYC करने का प्रोसेस
- दोस्तों जब आप किसी संगठन से किसी सेवा को लेने के लिए जाते हैं तो उसके लिए क्या-क्या करना पड़ता है और किस तरह से ई केवाईसी के जरिए हम अपना वेरिफिकेशन कर आते हैं चलिए इसे जानते हैं.
- मान लीजिए आप किसी एक कंपनी की सिम कार्ड को खरीदना चाहते हैं तो आप उसके पास जाएंगे जहां से आपका अपना आधार नंबर देना पड़ता है.
- जब वह आपके आधार नंबर को वेरीफाई करेंगे तो आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी आता है और उस और टिप्पी के द्वारा आप वेरीफाई करते हैं कि आधार कार्ड के इंसान वही है.
- ओटीपी डालने के बाद में यह वेरीफाई हो जाता है कि आपकी पहचान सही है.
केवाईसी के फायदे
जब सीकेवाईसी की शुरुआत हमारे देश में तब से लोगों को भाग दौड़ करने से काफी छुटकारा मिला है. और जो सिम हमें एक्टिवेट कराने में काफी लंबा समय लगता था वह अब हमें कुछ ही घंटों में एक्टिवेट हो जाता है.
आपको याद होगा तो यह भी याद होगा कि जब आप सिम खरीदने जाते होंगे तो आप अपना डॉक्यूमेंट जमा करते होंगे उसके बाद कम से कम 3 दिन तक आपको इंतजार करना पड़ता होगा.
जब आपके द्वारा जमा किया गया दस्तावेज वेरीफाई हो जाता होगा तभी आपकी सिम को चालू किया जाता होगा.
अब आप को समझने में आसानी हो ही गई होगी कि केवाईसी की बिना पहले हमें कितने दिन तक इंतजार करना पड़ता था एक नई सेवा को हासिल करने के लिए.
लेकिन वही आज अगर हमको सिम कार्ड चालू करना होता है तो बस कुछ ही देर लगती है और हमें हमारा सिम कार्ड हमें चालू मिल जाता है. तो चलिए जानते हैं ऐसे ही कुछ अनोखे फायदे के बारे में जो हमें केवाईसी के बाद से मिल रहा है.
नई सेवा शुरुआत करने में ज्यादा समय नहीं लगता
आज अगर आप किसी सेवा को खरीदने के लिए या शुरू करने के लिए जाएंगे तो फिर इसके लिए आपका आवेदन करना होता है.
आपको अपनी पहचान पत्र या फिर दूसरे दस्तावेज जमा करने होते हैं. आपको बोला जाता है कि आपके पहचान और पते की वेरिफिकेशन करने के बाद में सेवा शुरू की जाएगी. इसमें कम से कम दो-तीन दिन जरूर लगी जाते थे.
लेकिन वही अगर आज के समय में देखा जाए तो हमें ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं होती है बस हमें अपना आधार कार्ड जमा करना होता है और उसी वक्त अगर ईकेवाईसी करते हैं तो 1 से 2 घंटे में वह सेवा शुरू कर दी जाती है.
अगर ईकेवाईसी नहीं करते हैं तो हो सकता है थोड़ा तो ज्यादा टाइम लगे लेकिन फिर भी सेवा बहुत जल्दी शुरू हो जाती है.
भागदौड़ से छुटकारा
हमें अपने दस्तावेज को लेकर काफी दौड़ भाग करना पड़ता था. फोटो कॉपी कर आओ फिर उस पर फोटो लगाओ उसके बाद फॉर्म भरो तो इन कामों में हमें काफी समय लग जाता था.
वहीं अगर आप आज के समय की बात करें तो ई केवाईसी के जरिए हमारे नाम पता इत्यादि सभी चीज़ें ऑटोमेटिक जिस कंपनी से हमसे वाले नाच हो जाती है.
उन्हें वेरिफिकेशन करने में बिल्कुल समय नहीं लगता. यहां तक कि कभी-कभी रेवा को लेने के लिए कई चक्कर भी काटने पड़ते थे उससे भी छुटकारा मिल चुका है.
गैरकानूनी कामों से बचाव
कई बार ऐसा होता था कि सिम कार्ड या फिर किसी प्रकार की सेवा लेने के लिए लोग दूसरे के आईडी का इस्तेमाल किया करते थे. यानी कि किसी दूसरे के नाम पर लोग सिम कार्ड ले लिया करते थे.
लेकिन केवाईसी के आने के बाद अगर किसी इंसान के आधार कार्ड को केवाईसी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है तो जब तक उसका फिंगरप्रिंट या फिर रेटीना को स्कैन नहीं किया जाता तब तक वेरिफिकेशन पूरा नहीं होता.
यानी कि कोई दूसरा इंसान किसी दूसरे इंसान के आधार कार्ड से खुद कोई सेवा नहीं खरीद सकता. इस तरह की गैरकानूनी गतिविधियों को आसानी से रोका जा सकता है.
कम खर्च
एक वक्त हुआ करता था जब किसी भी सेवा को इस्तेमाल करने के लिए हमें काफी खर्चे करने पड़ते थे. हम तो ओरिजिनल दस्तावेज को जमा नहीं करते थे इसके लिए कॉपी किया करते थे उसमें भी हमें खर्च लगता था.
जो आज के समय में ईकेवाईसी की वजह से हमें नहीं लगते. ई केवाईसी करने के लिए हमें एक पैसे भी खर्च करने की जरूरत नहीं होती है.
संक्षेप में
आज के समय में आप कहीं भी चली जाए और कोई नई सेवा लेने की सोच रहे हैं तो आपको उसके लिए केवाईसी करना अनिवार्य होता है.
लेकिन बहुत कम लोगों को ही मालूम होता है कि केवाईसी क्या है (What is KYC in Hindi). आखिर इसका क्या महत्व है कि सरकार इसको इतना वैल्यू दे रही है और चाहे कोई भी संगठन या फिर कंपनी में इसका इस्तेमाल जरूर करती है.
हमने इस पोस्ट के माध्यम से बताने की कोशिश की कि इस का फुल फॉर्म क्या है और साथ ही यह भी बताया कि इसके क्या फायदे हैं.
आपने इस पोस्ट के माध्यम से अगर कुछ सीखा हो तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ फेसबुक, टि्वटर, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप में अधिक से अधिक शेयर करें.