मदर टेरेसा पर निबंध – Essay on mother Teresa in Hindi

मदर टेरेसा एक महान महिला के साथ साथ एक साहसी महिला भी थी जिन्होंने अपने उत्तम कार्यों को कर लोगों की मदद की.  मदर टेरेसा द्वारा किए गए सर्वोत्तम कार्यों से आज भी लोग अपने दिल में इनके प्रति इज्जत और सम्मान रखते हैं. 

मदर टेरेसा एक साहसी महिला के साथ-साथ अहिंसा वादी महिला भी थी जिन्होंने अपने समाज में बदलाव लाने के लिए बहुत ही उच्च कोटि के कार्य किए, मदर टेरेसा की हिम्मत को हर एक इंसान दाद देता है, जिन्होंने अपने बलबूते पर समाज को बदलने का निर्णय लिया और उसे कर दिखाया. 

मदर टेरेसा पर छोटे एवं बड़े निबंध – ong and short essay on mother Teresa.

बच्चों आज हम आपके लिए चार निबंध मदर टेरेसा पर लाए हैं जो आपके लिए पढ़ने में बहुत ही आसानी होगी. इसे आप अपने क्लास के अनुसार पढ़ सकते हैं. 

निबंध 1 (250 शब्द) 

प्रस्तावना 

मदर टेरेसा एक गौरवशाली महिला थी जिन्होंने अपने महान कार्यों को कर जनता के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.  इनका जन्म 26 अगस्त 1910 को मेसेडोनिया गणराज्य के जिप्प्से नामक स्थान पर हुआ.  इनके उच्च और महान कार्यों के लिए सभी लोग मदर टेरेसा को बहुत ही आदर और सम्मान पूर्वक याद करते है, और इन्हें सम्मानित करते हैं.  मदर टेरेसा हम सभी के लिए प्रेरणादायक महिला रही है जिनकी प्रेरणा से हम अपने जीवन को अच्छा बनाते हैं. 

मदर टेरेसा का व्यक्तित्व

मदर टेरेसा एक साहसी महिला के साथ साथ बहुत ही कोमल दिल की महिला थी जिन्होंने गरीबों की सहायता करने के लिए अपने आपको न्योछावर कर दिए.  इन्होंने  गरीबों की मदद अनेक प्रकार से कर उनकी जिंदगी अच्छी बनाई.  वे अपने इमानदारी और अच्छे विचारों से गरीबों के लिए बहुत ही अच्छे अच्छे कार्य किए और उनको उनकी जिंदगी को आगे बढ़ाने में बहुत ही मदद की इसलिए इन्हें मदर टेरेसा के नाम से भी जाना जाता है. 

निष्कर्ष

मदर टेरेसा हम सभी के लिए एक प्रेरणादायक देवी थी जिन्होंने उच्च विचार और अनेक प्रेरणा देकर हमारे समाज और हमारे देश को आगे बढ़ाने में अपना बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान दी .  मदर टेरेसा के द्वारा दिया गया उच्च विचार और अत्यधिक महत्वपूर्ण प्रेरणा आज भी हमारे लिए बहुत ही प्रभावशाली रहता है क्योंकि हर इंसान जो इस धरती पर इस तेजी से विकसित हो रहे युग में अपने आप को आगे बढ़ा रहे हैं इसमें उन्हें प्रेरणा की आवश्यकता है क्योंकि प्रेरणा हमारी जिंदगी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, प्रेरणा से हमें आगे कुछ नया करने की अनुभूति मिलती है जिससे हमारा जीवन अच्छा हो पाता है. 

निबंध 2 (300 शब्द) 

प्रस्तावना 

मदर टेरेसा एक महान महिला के साथ साथ दया की देवी भी थी जिन्होंने सभी गरीब लोगों के प्रति दया दिखाकर इनकी बहुत ही मदद की, मदर टेरेसा गरीबों की मदद कर उनकी जिंदगी संवारने में अपना योगदान दी, जिससे हर गरीब की जिंदगी सुधर गई इसलिए सभी लोग इन्हें मदर टेरेसा के नाम से जानते हैं क्योंकि वह एक मां की तरह गरीबों को सेवा की थी और उनकी जिंदगी खुशियों से भर दी थी . 

मदर टेरेसा का जन्म

मदर टेरेसा एक साहसी और प्रभावशाली महिला थी जिन्होंने अपने उच्चतम विचारों और इमानदारी पूर्वक कार्यों से सभी गरीब लोगों की मदद कर उनकी जिंदगी बेहतर बना दी इसलिए यह अपनी सर्वश्रेष्ठ विचारों और महान कार्यों से अभी भी सभी के दिलों में राज करती है. 

मदर टेरेसा दयालु महिला थी जिन्होंने प्रभावशाली कार्यों के द्वारा हर जरूरतमंद को मां की तरह देखरेख की इसलिए इन्हें मदर ट्रेसा कहा जाता है इनका जन्म 26 अगस्त 1910 में मेसेडोनिया गणराज्य के सोपजे नामक स्थल पर हुआ.  इस प्रभावशाली महिला का वास्तविक नाम अग्नेश गौंकसे बोजाशयू रखा गया था.  हालांकि इनका बचपन का नाम यह था लेकिन इनके द्वारा किए गए प्रभावशाली कार्यों और महान उद्देश्य से गरीबों को किए गए सहायता से इन्हें मदर टेरेसा का नाम दिया गया क्योंकि यह दया के रूप में गरीबों को एक मां की तरह देखभाल की थी. 

मदर टेरेसा को अपने परिवार से मिली प्रेरणा 

मदर टेरेसा एक अच्छी परिवार से जुड़ी हुई थी जिनकी मां एक गृहिणी थी तथा इनके पिताजी एक महान व्यापारिक थे मदर टेरेसा अपने माता-पिता की एक छोटी बेटी थी जो अपने माता-पिता के कार्यों से बहुत ही सादगी पूर्ण गुण और प्रेरणा प्राप्त की. 

इनके पिता जी राजनीति से जुड़े हुए थे जिस वजह से इनकी मृत्यु हो गई और इनकी मृत्यु के पश्चात इनके परिवार की स्थिति बहुत ही गंभीर हो गई जिस वजह से मदर टेरेसा अपने घर की स्थिति को सुधारना चाहती थी और वे अपना जीवन धार्मिक से जोड़ ली. 

निष्कर्ष

जिस तरह हर लोगों को अनेक रूप से प्रेरणा मिलती है ठीक उसी प्रकार मदर टेरेसा को उनके माता-पिता से प्रेरणा मिली थी जिससे उनका विचार उच्च कोटि का रहता था और वह हमेशा दूसरों की भलाई करना चाहती थी.  इसलिए वह हमेशा अच्छे और महान कार्यों को कर लोगों की सहायता करती थी. 

निबंध 3 (400 शब्द) 

प्रस्तावना

मदर टेरेसा मां के रूप में हर एक जरूरतमंद को सहायता कर उनकी जिंदगी संवारने का काम की है वह एक धार्मिक और प्रभावशाली महिला थी जिन्होंने अनेक महत्वपूर्ण कार्यों को कर इस देश में अपनी एक अलग जगह बनाई.  आज भी लोग मदर टेरेसा के विचारों से बहुत कुछ सीखते हैं और उन्हें सम्मान देते हैं.  मदर टेरेसा को ” गटरो का संत” भी कहा जाता है. 

मदर टेरेसा का धार्मिक जीवन

मदर टेरेसा के पिताजी जब राजनीतिक से जुड़े थे उसी वक्त उनकी मृत्यु हो गई जिस कारण इन्हें बहुत ही दुख हुआ और इनकी परिवार की स्थिति बहुत ही गंभीर होने लगी तभी इन्होंने धार्मिक जीवन से अपने संबंध बना ली . 

मदर टेरेसा जब 18 साल की थी उस समय वह डूबलीन के लोरेटो सिस्टम के अंतर्गत जुड़कर लोगों की मदद कर अपना बहुत बड़ा योगदान दी.  धार्मिक जीवन से अपने आप को जोड़ कर इन्होंने गरीब लोगों के लिए अनेक तरह के अच्छे कार्यों को कर उनके जीवन अच्छा बनाने में अपना बहुत बड़ा योगदान दी.  इनके द्वारा गरीबों के लिए किए गए महान कार्यों के लिए इन्हें संत की उपाधि 2016 में दी गई. 

भारत आगमन

मदर टेरेसा 6 जनवरी 1929 ईस्वी को आयरलैंड से कोलकाता के लॉरेंट कान्वेंट नामक स्थान पर पहुंची.  इसके पश्चात उन्होंने अपनी नर्सिंग ट्रेनिंग को पटना के होली फैमिली हॉस्पिटल से कंप्लीट की.  नर्सिंग की पढ़ाई कंप्लीट करने के दौरान 1948 में मदर टेरेसा ने कोलकाता आई और यहां इन्होंने बच्चों की पढ़ाई के लिए एक स्कूल की ओपनिंग की जिसमें उस क्षेत्र के बच्चे पढ़ सके.  स्कूल खोलने के दौरान उन्होंने मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की जिसे चर्च द्वारा 7 अक्टूबर 1950 को मान्यता प्राप्त हुआ. 

मदर टेरेसा द्वारा बनाए गए मिशनरीज संस्था में अनेक लोगों के लिए भोजन की आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती थी, जिसमें 1956 में 122 देशों के लिए 755 गृह खोले गए थे जिसके द्वारा लगभग 500000 गरीबों की भूख मिठाई गई थी उन्हें आवश्यकता अनुसार भोजन दिया जा रहा था. 

मदर टेरेसा द्वारा खोले गए आश्रम 

मदर टेरेसा के द्वारा विभिन्न प्रकार के आश्रम खोले गए हैं जिससे बहुत से गरीबों को पुन: जीवन मिल पाना संभव हो पाया.  मदर टेरेसा द्वारा निर्मला शिशु भवन तथा निर्मल हृदय नामक आश्रम खोले गए.  निर्मल हृदय आश्रम में बीमारी से पीड़ित लोगों की देखभाल की जाती थी तथा उन्हें ठीक करने का प्रयास भी किया जाता था जिससे उनका जीवन अच्छे से बीत सके .  वही निर्मला शिशु भवन में अनाथ और बेबेस बच्चों के लिए देखभाल की जाती थी तथा उनका पालन पोषण भी वही होता था.  मदर टेरेसा इतनी अच्छे हृदय की महिला थी खुद रोगियों की देखभाल करती थी और साथ ही बच्चों के लिए पालन पोषण करती थी. 

निष्कर्ष

मदर टेरेसा महान महिला के साथ साथ एक बड़े हृदय की देवी थी जिन्होंने आश्रम बनवाकर कई जानों को बचाया और कई बेबस बच्चों को सहारा देकर उनकी जिंदगी सवार दी.  इनके महान कार्यों से लोग आज भी इनके प्रति अच्छी भावना रखते हैं और इन्हें सम्मान भी देते हैं. 

निबंध 4 (600 शब्द) 

प्रस्तावना 

मदर टेरेसा एक ऐसी साहसी  और सादगी पूर्वक विचार रखने वाली महिला थी जिनका जन्म हमारे देश के समाज को आगे बढ़ाने और गरीबों की देखभाल करने के लिए हुआ.  यह अपने अच्छे कर्मों के साथ हर गरीब की मदद की और उनका जीवन खुशियों से भर दिया, इनके महान कार्यों से आज भी लोग इन्हें याद करते हैं और इन्हें सम्मान देते हैं.  इनका गरीबों के प्रति निस्वार्थ भावना से किया गया महान कार्य सभी लोगों के दिलों में एक जगह बना ली है, मां के रूप में सबका देखभाल करने वाली मदर टेरेसा सभी के दिलों में एक अलग जगह बनाई हुई है. 

मदर टेरेसा की पसंदीदा जगह 

मदर टेरेसा का स्वभाव बहुत ही सुशील और सादगी पूर्वक था क्योंकि यह हर जरूरतमंद लोगों की मदद करने को हमेशा तैयार रहते थे, इन्हें लोगों की मदद करना उनका देखरेख करना बहुत ही पसंद था.  मदर टेरेसा को गरीबों की सेवा करके बहुत ही खुशी मिलती थी और वह इस जिंदगी से बहुत ही खुश थी. 

मदर टेरेसा का पसंदीदा स्थल काली घाटी है जो कोलकाता का एक गली है जहां इनका एक आश्रम स्थित है.  इस जगह में मदर टेरेसा उन सभी लोगों को आश्रय दी है जो बिना खाए पिए अपनी जिंदगी गुजार रहे थे और जो लोग बीमारी से पीड़ित हैं.  इन लोगों को मदर टेरेसा ने अपने आश्रम पर आश्रय दिया और उनकी देखभाल की.  रोगियों को रोगों से मुक्त किया और भूखे प्यासे लोगों को भोजन देकर उनके भूख को मिटाई. 

कोलकाता के 54 हजार जरूरतमंदों को अपने आश्रम में आश्रय देकर उनकी जिंदगी सवारी लेकिन 54000 में से 23000 लोग की मृत्यु हो गई क्योंकि वह अत्यधिक समय से भूखे प्यासे थे और वह बहुत ही कमजोर हो चुके थे जिस वजह से उनका जीवन नहीं बच पाया. 

बच्चे लोगों को मदर टेरेसा ने हर सुविधा प्रदान की और उन्हें अपना जीवन खुशी पूर्वक व्यतीत करने का मौका दिया.  मदर टेरेसा को इस स्थान में जाकर सभी लोगों की देखरेख करना उनकी जरूरतों को पूरा करना, इन सभी कार्यों को कर मदर टेरेसा बहुत ही खुश होती थी और उन्हें संतुष्टि मिलती थी.  इसलिए सबसे पसंदीदा स्थान मदर टेरेसा का अपना आश्रम था. 

मदर टेरेसा जी के सेवा भाव कार्य 

मदर टेरेसा इस भारत में अनेक प्रकार के महान कार्यों को कर भारत देश को आगे बढ़ाने में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान दी है जिसमें उन्होंने भारत में 80 विद्यालयों की ओपनिंग की जिसमें विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए उनका स्कूल मिला जिससे उनकी मानसिक बुद्धि का विकास हुआ, मदर टेरेसा की एक भोजन से संबंधित संस्था था जिनका नाम मिशनरी ऑफ चैरिटी था , इस संस्था द्वारा 60,000 लोगों को भोजन प्राप्त हुआ.  इसके साथ-साथ उन्होंने अनाथ बच्चों के लिए कई केंद्र को स्थापित किए जिससे बच्चों का पालन पोषण और उनका विकास हो पाए.  वृद्ध लोगों के लिए मदर टेरेसा के द्वारा वृद्ध आश्रम खोला गया जिसमें उन लोगों का जीवन अच्छे से बीता.  इन सभी महान कार्यों को करने के साथ-साथ मदर टेरेसा के द्वारा 1500000 की औषधियां गरीब लोगों को दी गई ताकि उनका स्वास्थ्य अच्छा रह सके क्योंकि जब हमारे देश के युवाओं का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा तभी हमारा देश आगे बढ़ेगा.  युवा हमारे देश का भविष्य होता है इसलिए की आवश्यकताओं की पूर्ति करना आवश्यक होता है. 

मदर टेरेसा ने अपने महान कार्यों को कर कई गरीब लोगों की मदद की तथा रोग से पीड़ित लोगों को मां के रूप में देखभाल कर उन्हें उनका पुनः जीवन दान दिया.  मदर टेरेसा गरीबों, रोगियों, अनाथ बच्चों तथा वृद्ध लोगों को सादगी पूर्वक देखभाल कर उन्हें अच्छी जीवन प्रदान की.  मदर टेरेसा के द्वारा वृद्धों के लिए फर्स्ट लव एवं निर्मल हृदय नाम की संस्थाएं बनाई गई थी जिसमें अभी तक 45000 लोग रह कर अपनी जिंदगी जी रहे हैं. 

सम्मान और पुरस्कार  

मदर टेरेसा को विभिन्न प्रकार के महान कार्यों के लिए विभिन्न तरह के महान पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया.  यह महान महिला जो मां के रूप में सभी गरीब लोगों की सेवा की उन्हें सब लोग मदर टेरेसा के नाम से जानते हैं जिन्हें 1962 में नोबेल पुरस्कार, 1989 में भारत का सर्वोच्च पुरस्कार तथा 1980 ईस्वी में मदर टेरेसा को भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया इसके साथ साथ 1985 ईस्वी में मेडल ऑफ फ्रीडम अवार्ड से सम्मानित किया गया. 

मदर टेरेसा उच्च विचार की महिला और इतनी महान देवी है कि वे पुरस्कार में दिए गए नोबेल  पुरस्कार की धनराशि $192000 गरीबों के लिए दान में देने की निर्णय ली जिससे उनका पालन पोषण हो सके और उनको उच्च शिक्षा प्राप्त करने को मिले. 

इस तरह से मदर टेरेसा अपना सारा जीवन गरीब बच्चों, बीमारी से पीड़ित लोगों और वृद्ध लोगों की देखभाल में लगा दी.  इनकी विचार बहुत ही उच्च कोटि के हैं जिनसे बहुत कोई को प्रेरणा मिली है इस तरह यह प्रेरणा की देवी कहलाती है. 

मदर टेरेसा की मृत्यु

मदर टेरेसा जी जब 73 साल की थी उस समय वे 1983 ईस्वी में रोम पॉप जॉन पॉल द्वितीय से मिलने गई थी उस समय इन्हें पहली बार हार्ट अटैक आई थी, इसके पश्चात 1989 ईस्वी में इन्हें दूसरा हार्टअटैक का सामना करना पड़ा तब से इनकी तबीयत बहुत ही खराब रहने लगी.  अंतत: 5 सितंबर 1997 ईस्वी में मदर टेरेसा जैसी महान और प्रभावशाली महिला की मृत्यु हो गई.  मदर टेरेसा हमारे भारत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण और उच्च कोटि के कार्य किए हैं जिनसे हमारा भारत देश आगे बढ़ सका और हमारे देश के लोग अच्छे से जीवन जी पा रहे हैं.  मदर टेरेसा की पसंदीदा स्थान कोलकाता ही थी जहां उन्होंने अंतिम सांस लिया.  

निष्कर्ष

मदर टेरेसा हमारे भारत के लिए एक प्रभावशाली महिला थी, जिन्होंने हमारे देश को हर तरीके से मदद कर ,भारत की जनता की देखरेख कर ,उन्हें जीवन जीने का तरीका सिखाएं इसके साथ साथ मदर टेरेसा के उच्च विचार से बहुत से लोग प्रेरित हुए और उनकी दिखाई हुई रास्ता में चलकर अपने जिंदगी को संवारा.  आज भी मदर टेरेसा हम सभी लोगों के दिलों में जिंदा है, उनके विचारों से हमें बहुत अच्छी-अच्छी प्रेरणा मिलती है. 

Wasim Akram

वसीम अकरम WTechni के मुख्य लेखक और संस्थापक हैं. इन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है लेकिन इन्हें ब्लॉगिंग और कैरियर एवं जॉब से जुड़े लेख लिखना काफी पसंद है.

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