जैसा कि हमें पता है ईंट उपयोग जब हम अपने घर तथा बड़े-बड़े बिल्डिंग एवं अन्य कई कंस्ट्रक्शन स्थानों में बहुत बड़ी पैमाने में करते हैं या किसी भी कंस्ट्रक्शन कार्य के लिए बहुत ही ज्यादा बड़ा योगदान के रूप में साबित होता है। क्योंकि माना जाए तो इसके बिना किसी भी प्रकार का घर और बिल्डिंग का निर्माण लगभग ना के बराबर हो सकता है। इसलिए हम घर इत्यादि बनाने के लिए इसका काफी मात्रा में उपयोग करते हैं ईंट का प्रोडक्शन में हमारा देश भारत पूरे विश्व में दूसरा सबसे बड़ा देश के रूप में जाना जाता है।
बता दें कि यह एक निर्माण के भट्टे की प्रक्रिया लगभग कई बीते दशकों से चला आ रहा है। किंतु जिस प्रकार से आज भी ईट का जिस मात्रा में उत्पादन अर्थात निर्माण हो रहा है इस प्रक्रिया में बीते दशकों से अधिक अंतर नहीं पाया गया है परंतु इस बात की पुष्टि अवश्य कर सकते हैं।
जिस तरह से तकनीकी क्षेत्र में विकास हो रहा है उससे हर सेक्टर में तकनीकी विकास की प्रगति में काफी प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। ठीक उसी प्रकार से हमें आज भी ईटों का उत्पादन में टेक्नोलॉजी प्रोग्रेस का प्रभाव ईटों पर क्लियर दिखाई दे रहा है। तथा इन टेक्नोलॉजी के द्वारा निर्माण किए गए ईटों की क्वालिटी में काफी अच्छी मात्रा में सुधार भी पाई गई है।
जाने की ईट क्या होती है और इसका उपयोग
ईंट मिट्टी से बनाएं एक उत्पाद है। जब इसे बनाने वाले लोग मिट्टी को अच्छी तरह से सुखाकर एवं उच्च तापमान के आग में पकाकर और अच्छी तरह से पकाकर एक मजबूत आकार और साक्षी गुणवत्ता वाले टिकाऊ मिट्टी के उत्पाद के रूप में तब्दील कर दिया जाता है। जिससे हम ईंट के नाम से उसे जानते हैं।
दरअसल कहा जाता है कि ईटों का निर्माण की प्रक्रिया बहुत ही आसान होती है जिसे बनाने वाले निर्माणकर्ता तीन विधि का मुख्य रूप से उपयोग करके उनका आकार रंग रूप प्रदान करते हैं।
पहली विधि है एक्सट्रुडेड इस विधि का उपयोग काफी हार्ड मिट्टी के लिए किया जाता है दूसरी विधि है मोल्डेश की विधि इस विधि का उपयोग नरम मिट्टी के लिए किया जाता है।
तीसरी विधि है ड्राइ प्रेस की विधि इस विधि के अंतर्गत ईटों को उसके आकार प्रदान की जाती है। किंतु निर्माणकर्ता का यह मानना है कि इन सारे विधियों में सबसे ज्यादा विधि का उपयोग प्रथम विधि अर्थात एक्सट्रुडेड विधि का निर्माण में किया जाता है।
ईटों का कलर मिट्टी का रंग अथवा इसके बाहरी परत का उपयोग किए जाने वाले कोटिंग के द्वारा से प्राप्त किया जाता है। कहा जाता है कि इस रंग से निर्माण किए गए जो को पकने से पूर्व अथवा पश्चात कभी भी प्राप्त किया जा सकता है। किंतु इस में उपयोग की जाने वाली कोटिंग का कलर काफी क्वालिटी लार होती है जिसमें इसका रंग फीका अथवा कम कभी भी नहीं होती।
ईट बनाने के निर्माण हेतु उपयोग की जाने वाली जो विधी होती है। उसकी निर्माण का आकार पर महत्वपूर्ण असर डालता है। अगर ईट बनाने के समय उस सारी कार्य के साथ विट्रीफिकेशन हुआ तो जितने भी बनते हैं। वह सभी सिकुड़ जाते इसलिए एक बनाते समय निर्माणकर्ता पहले भी गया था एक स्टूडेंट विधि से अनेक प्रकार का ईटका निर्माण करते हैं।
ईंटों के गुण और परीक्षण
- ईटों में एक समान प्रकार का रंग कंपैक्ट सभी की का साइज एक समान एवं धारदार किनारा अवश्य होना चाहिए .
- 1 का अधिकतम वजन 3 केजी से लेकर 3.5 केजी तक के मध्य होनी चाहिए एवं ईद का कार्य के लिए उसका घनत्व अट्ठारह सौ किलोग्राम प्रति वर्ग मीटर होना आवश्यक है।
- ईद का जो आया होता है वह मानक के अनुरूप होना आवश्यक चाहिए।
- 1 ईट का मानक आकार मुख्यता 19cm x 9cm x 9cmहोली आवश्यक है।
- मोर्टार के साथ मॉड्यूलर आकार: 20cm x 10cm x 10cm
- सामान्यता निर्माणकर्ता के द्वारा यह बताया गया है कि एक ईट का पारंपरिक आकार: 23cm x 11.4cm x 7.6cm होनी आवश्यक है।
- ईटों की मजबूती के लिए यदि ईट को 1 मीटर की ऊंचाई से नीचे की और गिराया जाए तो वह टूटनी नहीं चाहिए।
- आईएस 1077 के तहत यदि एक ईंट को उसकी पावर के अनुरूप विभिन्न भागों में बांटा किया गया है और संपीड़न परीक्षण मशीन में रखे जाने पर ईंट की न्यूनतम पावर 3.5 एमपीए से नीचे की नहीं होनी चाहिए।
- अगर कोई व्यक्ति अपने उंगली के नाखून से खरोंचने पर ईंट की किसी भी पर किसी भी प्रकार का खरोंच का कोई निशान नहीं होना चाहिए।
- एक ईट किसी दूसरे ईट के साथ यदि चिपका दिया जाए तो आपस में परस्पर ध्वनि का उत्पन्न करना चाहिए।
- यदि किसी एक को लगातार 24 घंटे तक पानी में भिगोकर रखने पर ईट की किसी भी समतल सतह पर किसी प्रकार का कोई भी दाग अथवा धब्बा नहीं होनी चाहिए.
- यदि कोई भी ईट टूट चुकी है तो टूटी हुई का जो हिस्सा है वह चमकदार अथवा सभी एक ही जाति का हो और जो कंपैक्ट संरचना दिखती है वह अवश्य दिखानी चाहिए जोकि रिक्तियोंद्वारा मुक्त होती है।
- जो एक प्रथम श्रेणी के होते हैं उन सभी ईटों का पानी की टंकी में लगातार 24 घंटे तक डूबा ने पर वजन के अनुसार लगभग 20% से अधिक पानी को वह अपने अंदर शौक नहीं सकता या गुण होना अवश्य चाहिए।
- एक ईटा का समानता 12.5 एमपीए का शक्ति तक वैलिड माना जाता है तथा उसकी अधिकतमताकत के लिए या 15% से अधिक नहीं होनी चाहिए।
निष्कर्ष
जैसा कि मैंने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से आपको ईंट का बिजनेस के बारे में कुछ जानकारियां अवगत कराया हूं। जिसके तहत मैंने कुछ विषयों में आपको जानकारी प्रदान की है। जैसे कि ईंट क्या है और इसका उपयोग ईट का क्या है गुणवत्ता एवं प्रशिक्षण जैसे तमाम खबरों से आपको परिचित करवाएं।
तो दोस्तों आता है कि आपको यह खबर पसंद आया होगा। आर्टिकल से संबंधित आपको किसी भी प्रकार का कोई भी प्रश्न हो तो उसका प्रतियोगिता पाने के लिए कृपया कमेंट बॉक्स में अपना प्रश्न जरूर पूछें।
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