अगर आप मोबाइल या कंप्यूटर का इस्तेमाल कर रहे है तो आपने ब्लूटूथ का नाम अवश्य सुना होगा, साथ आपने इसका इस्तेमाल भी किया होगा। क्योंकि आज जब हम किसी दूसरे फ़ोन से अपने फ़ोन में या फिर अपने फ़ोन से किसी दूसरे के फ़ोन में कोई भी डालनी होती है तो हम इसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते है।
मोबाइल में फ़ाइल, वीडियो, फ़ोटो एक दूसरे के फ़ोन में भेजने के लिए काफी अच्छी टेक्नोलॉजी है जिसका इस्तेमाल काफी किया था और अब किया जा रहा है। यह टेक्नोलॉजी आज हर स्मार्टफोन में मौजूद होती है।
दोस्तों बैसे तो लगभग सभी ब्लूटूथ के बारे में जानते है और इसका इस्तेमाल भी लगभग सभी ने किया होगा लेकिन क्या आपने इस टेक्नोलॉजी के बारे में कभी सोचा है कि आख़िर इसे किए बनाया गया और इसका काम करने का तरीका क्या है। शायद आपने इसके बारे में नही सोचा होगा।
जबकि इसके बारे में पता होना जरूरी होता है क्योंकि जब डेली हम इसका इस्तेमाल करते रहते है तो इस टेक्नोलॉजी के वर्किंग तरीके के बारे में भी पता होने जरूरी हो जाता है। इसलिए आज हम अपने इस लेख में ब्लूटूथ से जुड़ी सभी जानकारी जैसे यह क्या है, कैसे काम करती है। इसी तरह और भी कई महत्वपूर्ण जानकारी जो सीधे इस टेक्नॉलज्ञ से जुड़ी है उनके बारे में एक – एक करके डिटेल में जानने वाले है। सो अधिक जानकरी पाने के लिए लेख को ध्यानपूर्वक अंत तक पढ़े-
ब्लूटूथ क्या है – What is Bluetooth in Hindi?
ब्लूटूथ एक छोटी रेंज तक का वायरलेस कनेक्शन है। यह एक लघु रेंज में बिना वायर के फाइल ट्रांसफर करने में काम आने वाली बेहतरीन तकनीक है।
ब्लूटूथ से दो या दो से अधिक देशों को एक निश्चित रेंज के अंदर कनेक्ट किया जा सकता है। ब्लूटूथ द्वारा किसी भी मोबाइल को कंप्यूटर से भी कनेक्ट किया जा सकता है। ब्लूटूथ कि यह तकनीक सन 1994 में विकसित हुई थी और 1997 में इसका नामकरण जिम कोर्डज ने किया था।
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ब्लूटूथ डिवाइस को 10 मीटर के दायरे में किसी भी मोबाइल या कंप्यूटर से कनेक्ट किया जा सकता है। अगर फिट की बात की जाए तो 30 फुट के दायरे में यह वायरलेस कनेक्शन कनेक्ट किया जा सकता है। और 30 फीट के दायरे में इस कनेक्शन को स्थापित करके फाइलों को ट्रांसफर किया जा सकता है। एक बार किसी भी मोबाइल से यह डिवाइस कनेक्ट होने के पश्चात फाइलों का अदान प्रदान किया जा सकता है। जब तक कि इस डिवाइस को वापस डिस्कनेक्ट नहीं किया जाए।
इसके अलावा एक कमरे से दूसरे कमरे में रखे प्रिंटर से भी प्रिंट निकाल सकते हैं। आज के समय में वाईफाई प्रिंटर भी आ चुके हैं। उससे पहले ब्लूटूथ प्रिंटर काम किया करते थे। जिससे ब्लूटूथ के कनेक्शन से जोड़कर प्रिंट आसानी से दिया जा सकता है।
ब्लूटूथ को कनेक्ट करने के लिए किसी भी प्रकार की वायर केबल या कार्ड की जरूरत नहीं होती है। ब्लूटूथ रेडियो तरंग पर आधारित फाइल ट्रांसफर करने में सक्षम यंत्र है। यह डिवाइस दो से अधिक देशों को आपस में भी जोड़ सकता है। एक छोटे नेटवर्क का निर्माण करने में ब्लूटूथ सक्षम है।
ब्लूटूथ टेक्नोलॉजी को ब्लूटूथ स्पेशल इंटरेस्ट ग्रुप द्वारा विकसित किया गया है। यह तकनीकी शुरुआत में अमेरिका में आई थी। ब्लूटूथ स्पेशल इंटरेस्ट ग्रुप का संचालन व सुधार करके इस तकनीकी को विकसित किया गया।
वर्तमान में स्मार्टफोन के जमाने से पहले भी यह डिवाइस नॉर्मल एंड्राइड बटन वाले मोबाइल में भी काम करता था। ब्लूटूथ एक दूसरे मोबाइल को आपस में कनेक्ट करके फाइनल ट्रांसफर करने के रूप में उपयोग किया जाता है।
इसके अलावा ब्लूटूथ के कई अन्य फीचर है। ब्लूटूथ के कई फायदे भी हैं और कई बार ब्लूटूथ से बड़े नुकसान भी हो जाते हैं। ब्लूटूथ का नाम सबने सुना है ब्लूटूथ फाइल शेयरिंग के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला सबसे लोकप्रिय फंक्शन माना जाता है ।
लेकिन कई प्रकार की नए थर्ड पार्टी एप्लीकेशन जैसे Xender app आने के पश्चात ब्लूटूथ की टेक्नोलॉजी पर काफी ज्यादा प्रभाव पड़ा और लोगों ने ब्लूटूथ की बजाय इन नए ऐप का उपयोग करना पसंद किया। लेकिन फिर भी आज भी ब्लूटूथ का उपयोग किया जा रहा है । ब्लूटूथ मोबाइल के साथ ही उपलब्ध करवाए जाने वाला फ़ीचर है।
ब्लूटूथ कैसे काम करती है
एक फोन को एक दूसरे से कनेक्ट करने के लिए इस तकनीकी की जरूरत पड़ती है। ब्लूटूथ तकनीकी एक नेटवर्क निर्माण करने के लिए रेडियो तरंगों का इस्तेमाल करते हैं। और एक दूसरे फोन को आपस में जोड़ कर फाइल को ट्रांसफर करते हैं।
इस तकनीकी का इस्तेमाल करने के लिए अपने मोबाइल डिवाइस में उपलब्ध plug-in को ऑन करना होता है। जैसे ही ब्लूटूथ ऑन करते हैं। तो आपके डिवाइस के नज़दीक में उपस्थित सभी डिवाइस को ढूंढता है। जिसमें से आप उस डिवाइस के नाम को सेलेक्ट करके जोड़ सकते हैं। जिसको फाइल ट्रांसफर करना चाहते हैं।
जब आपकी डिवाइस आपस में कनेक्ट हो जाते हैं।।श तब इसके बीच एक नेटवर्क का निर्माण होता है। जिसे पर्सनल एरिया नेटवर्क कहते हैं। यह नेटवर्क बिल्कुल सिक्योर होता है। इसमें किसी भी थर्ड पार्टी एप्लीकेशन की माध्यम से आपका पर्सनल डाटा नहीं चुराया जाता है। एक बार एक साथ में आठ डिवाइस को आपस में जोड़ा जा सकता है।
जब आपका नेटवर्क एक दूसरे से कनेक्ट हो जाता है। तब आप अपना डाटा आदान-प्रदान कर सकते हैं। यदि आप नेटवर्क दायरे से बाहर है। तो आपका संबंध टूट जाएगा और आप डाटा ट्रांसफर नहीं कर पाएंगे।
जब भी आप इस तकनीकी के अनुसार डाटा का ट्रांसफर कर रहे होते हैं। तब आप 30 मीटर के दायरे में ही रहे और जब तक अपनी फाइल ट्रांसफर नहीं हो जाए तब तक इस दायरे में ही रहे।
ब्लूटूथ के फायदे
बेशक जब किसी टेक्नोलॉजी को बनाया जाता है तो उसके कुछ ना कुछ फायदे ज़रूर होते है ऐसे ब्लूटूथ मोबाइल डिवाइस की ऐसी टेक्नोलॉजी जिसके कई फायदे होते है। कुछ फ़ायदों के बारे में नीचे जाने सकते है –
- इसका सबसे बड़ा फायदा है यह एक वायरलेस कनेक्शन तकनिकी है। जिसके तहत आप बिना किसी वायर से अपने फाइलों का आदान प्रदान कर सकते हैं।
- अपने डाटा को एक फोन से दूसरे फोन में स्थानांतरित करने का सबसे बेहतरीन जरिया है।
- ब्लूटूथ डिवाइस के तहत आप कंप्यूटर या लैपटॉप को भी अपने मोबाइल फोन से जोड़कर फाइलों का स्थानांतरण कर सकते हैं।
- ब्लूटूथ कनेक्ट करके आप किसी दूसरे डिवाइस को इंटरनेट का एक्सेस भी दे सकते हैं। और दूसरे डिवाइस में इंटरनेट चला सकते हैं।
- यह बिल्कुल बड़ी सुविधा है। इस वायरलेस कनेक्शन को बिना किसी ई-मेल के इस्तेमाल कर सकते हैं और यह सुविधा मोबाइल डिवाइस के साथ ही उपलब्ध करवाई जाती है।
- इस सुविधा का इस्तेमाल करने पर आपके मोबाइल की बैटरी भी कम खर्च होती है।
- इस सुविधा से सबसे आसानी से फाइलों का स्थानांतरण किया जा सकता है।क्योंकि बाकी थर्ड पार्टी एप्लीकेशन हर किसी के फोन में इंस्टॉल नहीं होते है।
ब्लुटूथ के नुकसान
जब किसी टेक्नोलॉजी को डवलप किया जाता है तो उसमे कुछ ऐसी कमियां हो जाती है क्या कहे सकते है कि कुछ गलतियों की वजह से उसमे कुछ चीजें ऐसी रहे जाती है जो बाद में नुकसान दायक हो जाती है। ब्लूटूथ में में कुछ कमियां है जो अक्सर समस्या का सबब बन जाती है। इस टेक्नोलॉजी की के नुकशान निम्लिखित है।
- एक तकनीकी का उपयोग निश्चित दायरे अच्छी कर सकते हैं। ज्यादा दूर से किसी भी मोबाइल को ना तो कनेक्ट कर सकते हैं। ना ही फाइलों को ट्रांसफर कर सकते हैं। ब्लूटूथ कनेक्शन की अधिकतम दूरी 30 फीट है।
- ब्लूटूथ बाकी अन्य थर्ड पार्टी एप्लीकेशन के मुकाबले काफी ज्यादा धीमी गति से बालों को ट्रांसफर करता है। इसमें समय बहुत ज्यादा खर्च होता है।
- कई बार फाइलों के स्थानांतरण करते वक्त फाइलें अटक जाती है। क्योंकि यह तकनीकी रेडियो तरंगों पर आधारित है और तरंगों के मिसमैच होने से इस प्रकार की समस्या आती है।
ब्लूटूथ के वर्जन
ब्लूटूथ के अलग – अलग कई वर्शन मौजूद है, लगातार इस टेक्नोलॉजी में कुछ ना कुछ जोड़कर इसे बेहतर बनाया गया है, इस की टेक्नोलॉजी के कुछ वर्शन में से नीचे जान सकते है –
Bluetooth v1
ब्लूटूथ की टेक्नोलॉजी का यह सबसे पहला वर्जन था। जिसकी पहुंच कुछ खास – खास डिवाइस तक ही सीमित थी। ब्लूटूथ के इस भजन की अधिकतम गति 1 एमबी प्रति सेकंड तक ही डाटा का आदान प्रदान कर सकता था। ब्लूटूथ के इस वर्जन में कई ज्यादा कमियां थी। जिसका सॉल्यूशन इसके अगले वर्जन में किया गया। यह वर्जन साल 1994 में आया था। जो की बहुत उपयोगी साबित हुई थी.
Bluetooth v2
ब्लूटूथ के जमाने की यह पहली पीढ़ी थी। ब्लूटूथ का यह दूसरा वर्जन साल 2004 में लांच किया गया। यह काफी लोकप्रिय वर्जन साबित हुआ। और इस वर्जन में कई ज्यादा नए फीचर्स भी डाले गए। इसके साथ फाइलों के आदान प्रदान करने की गति बढ़ाई गई। और लोगो के लिए फाइल को आदान -प्रदान में काफी कुछ इम्प्रूव देखने को मिला।
Bluetooth v3
ब्लूटूथ का यह वर्जन साल 2009 में लांच हुआ। इसकी गति काफी ज्यादा तेज़ थी ।ब्लूटूथ का यह 24MB/s से फाइलों का आदान प्रदान करने में सक्षम था। ब्लूटूथ के इस वर्जन का दूसरा नाम HS भी रखा गया था। इसका मतलब हाई स्पीड डाटा ट्रांसफर था। उस समय के लिए टेक्नोलॉजी काफी महत्वपूर्ण रही थी.
Bluetooth v4
साल 2014 में ब्लूटूथ के चौथे वर्जन का विकास हुआ। यह बिल्कुल कम ऊर्जा के साथ डिवाइसों में कनेक्ट होता था। साथ ही एकदम सिक्योर वर्जन साबित हुआ। शुरुआत के सभी स्मार्टफोन में इसी वर्जन का उपयोग किया गया। जो उन फ़ोन के लिए काफी उपयोगी साबित हुई थी.
Bluetooth v5
ब्लूटूथ का यह पांचवां वर्जन साल 2016 में लांच हुआ था। इस वर्जन में कई नई टेक्नोलॉजी के साथ फीचर्स डाले गए। जो आज भी चल रहा है। इस वर्जन में कम बैटरी खर्च करके आप फाइलों का आदान-प्रदान कर सकते हैं और फाइलों का आदान-प्रदान बड़ी तेजी से कर सकते हैं।
निष्कर्ष
ब्लूटूथ की टेक्नोलॉजी आज स्मार्टफोन के लिए बहुत उपयोगी टेक्नोलॉजी साबित हुई है हालांकि अब इससे बेहतर काफी अप्लीकेशन बनाये जा रहे है जिस कारण अब इसका इस्तेमाल पहले के मुताबिक काफी कम होता जा रहा है. लेकिन अप्लीकेशन शायद कुछ ही समय के लिए ही मौजूद रहते है लेकिन ब्लूटूथ की टेक्नोलॉजी ऐसी टेक्नोलॉजी है जिसका इस्तेमाल लम्बे समय से किया जा रहा है और भविष्य में इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जायेगा।
बाकि आपको आज हम आपको इस लेख के माध्यम से ब्लूटूथ की टेक्नोलॉजी के बारे में डिटेल में जानकारी दे ही चुके है जो की आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण थी. आशा है की आपको इस लेख में इस टेक्नोलॉजी के बारे में उचित जानकारी मिल गयी होगी। आपको जानकारी कैसी लगी हमे कमेंट करके जरूर बताये। साथ ही इस तरह की आगे की महत्वपूर्ण जानकारी के बारे जानने के लिए हमारे साथ जुड़े धन्यवाद।
Mujhe aapke article padhkar kaafi accha laga.
hame ummid hai ki aap tech se related isi tarah ka aur bhi interesting article post karte rahenge.
bahut bahut dhanwaad.