भ्रष्टाचार एक ऐसी बीमारी है जिससे समाज खोखला होता है. इसीलिए इसकी जानकारी का होना हर इंसान के लिए जरूरी है और इससे बचने के उपाय भी समझना चाहिए और यही वजह है कि आज के इस पोस्ट में हम आपके लिए भ्रष्टाचार पर निबंध (Essay on corruption in hindi) लेकर आए हैं जो निश्चित तौर पर आपको इससे अवगत कराएगी.
यह एक ऐसी गंदी बीमारी है जो समाज में इतनी तेजी से फैल रही है जिसकी रोकथाम करना किसी के बस की बात नहीं है.
भ्रष्टाचार एक ऐसा शब्द है जो दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है भ्रष्ट और आचार जिसका अर्थ होता है भ्रष्ट आचरण. जब इंसान अपने समाज से जुड़े नैतिक मूल्यों को त्याग कर सिर्फ खुद के बारे में सोचता है और अपनी इच्छाओं को पूरी करने के लिए लोगों के हितों का अपमान करता है तो इसे भ्रष्टाचार कहा जाता है.
हमें इस लेख के माध्यम से अपने स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों के लिए भ्रष्टाचार पर छोटे एवं बड़े निबंध इसीलिए तैयार करके लाए हैं ताकि वह अपने स्कूल के कार्य में इसका इस्तेमाल कर सकें।
भ्रष्टाचार पर छोटे एवं बड़े निबंध (Short and Long Essay on Corruption in Hindi)
निबंध – 1 (200 शब्द)
परिचय
भ्रष्टाचार एक दीमक की तरह है जो देश को अंदर से खोखला करता जाता है. एक अंतरराष्ट्रीय समस्या है जो पूरे विश्व में फैली हुई है. भारत भी इस बीमारी से ग्रसित है जो बढ़ती ही जा रही है.
भ्रष्टाचार का अर्थ होता है बुरा आचरण. इसके अंतर्गत इसमें लिप्त इंसान कई प्रकार के क्रियाकलाप करता है जैसे घूसखोरी, रिश्वत देना, कालाबाजारी, टैक्स की चोरी, परीक्षा में अंको का गलत मूल्यांकन करना, चुनाव के समय धांधली करना, जबरन चंदा वसूलना इत्यादि.
भारत में भ्रष्टाचार का स्तर
हमारा देश शुरुआत से सच्चाई, अहिंसा एवं कर्मठ लोगों का देश रहा है. यही वो देश है जहां एक समय में लोग अपने घरों के बाहर ताला नहीं लगाते थे. क्योंकि उस वक्त चोरी नहीं होती थी. लेकिन आज भ्रष्टाचार ने इस देश को इस कदर जकड़ कर रखा है कि यह एक विकासशील देश होते हुए भी भ्रष्टाचार से सन लिप्त है.
यह एक कैंसर की तरह है जो हमारे देश के सेहत को खराब कर रहे हैं. यह हमारे देश की छवि को दुनिया के सामने खराब करता है. यह हमारे देश में इतना बढ़ चुका है कि कहीं कहे तो यह बहुत आम है.
निष्कर्ष
लेकिन विडंबना देखिए कि आजादी के बाद भी भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म कर पाना संभव न हो सका. एक ऐसा देश है जहां पर सत्य अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले लोग हैं लेकिन आज स्थिति में इंसानों को स्वार्थ से भरा हुआ हम देखते हैं.
हमारा देश काफी लंबे समय तक अंग्रेजों का गुलाम रहा है और जब भारत आजाद हुआ तो ऐसे राष्ट्र की कल्पना की गई जो भ्रष्टाचार मुक्त हो.
निबंध – 2 (300 शब्द)
परिचय
भ्रष्टाचार का मतलब देखे तो इसके नाम में ही इसका मतलब छुपा हुआ है भ्रष्टाचार का मतलब है भ्रष्ट आचार यानी कि बुरा आचरण. जो भी अनैतिक कार्य किए जाते हैं वह भ्रष्टाचार की कैटेगरी में आते हैं. अनैतिक कार्यों से देश का नुकसान होता है और इसकी उन्नति में भी बाधा पड़ती है.
भ्रष्टाचार एक दीमक की तरह होती है जो धीरे-धीरे देश को जाती है और पूरी तरह से बर्बाद कर देती है. इस देश में चलने वाली सरकारी और गैर सरकारी सभी कार्यालयों में भ्रष्टाचार आम हो चुकी है. यही वजह है कि एक आम आदमी किसी भी प्रकार के काम कराने में परेशान हो जाता है.
भ्रष्टाचार के कारण
- राष्ट्रभक्ति का अभाव होना
- कानून व्यवस्था का लचीला होना
- नैतिक मूल्यों में गिरावट आना
- पैसे को सबसे अधिक अहमियत देना
- ऐसो आराम की जिंदगी की इच्छा रखना
- झूठा दिखावा और प्रदर्शन करना
- पावर प्राप्त करने का जुनून होना
- पैसे और जमीन का लालच रखना
- जनसंख्या वृद्धि, रोजगारी, महंगाई एवं व्यक्तिगत स्वार्थ
- बिना मेहनत के पैसे कमाने की इच्छा रखना
- भाई भतीजा वाद को बढ़ावा देना
- टैक्स की चोरी करना
- नैतिकता के मार्ग को भूल जाना
भ्रष्टाचार रोकने के उपाय
- भ्रष्टाचार में लिप्त इंसान को कड़ी सजा देना
- सरकारी कार्यालयों में उपयुक्त कर्मचारी की संख्या होना
- सभी लोगों की मानसिकता का बदलना
- हर योग्य व्यक्ति को सरकार को पूरा टैक्स जमा करना चाहिए
- इलेक्शन कमिशन का ऐसे इंसान को चुनाव नहीं लड़ने देना चाहिए जो भ्रष्ट हो..
- हर इंसान को गलत चीजों का विरोध करना चाहिए
- सरकारी टेंडर में सिर्फ बड़े लोगों का अधिकार ना होकर एक आम इंसान का भी अधिकार होना
- भाई-भतीजावाद पर रोक लगाना
- भ्रष्टाचार का हमेशा विरोध करना
- कानून व्यवस्था को मजबूत बनाकर
निष्कर्ष
भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यह एक विकासशील देश भी है जो तेज गति से विकास के रास्ते पर चल रही है. भ्रष्टाचार से देश को बचाने के लिए हम सबको मिलकर इस से लड़ना पड़ेगा
निबंध – 3 (400 शब्द)
परिचय
भ्रष्टाचार आज देश के हर अंग अंग को ग्रसित कर चुका है. इसकी वजह से गरीबी और बढ़ती जाती है. देश की आर्थिक प्रगति भी इसकी वजह से रुक जाती है.
इसमें किसी एक व्यक्ति का दोष नहीं है बल्कि यह एक सिस्टम की तरह काम करता है जो हर भाग में फैला हुआ होता है. जब कोई व्यक्ति सिर्फ खुद के बारे में सोचता है तो भ्रष्टाचार की उत्पत्ति होती है.
भ्रष्टाचार का अर्थ
भ्रष्टाचार एक बुरा आचरण है जो समाज को नकार कर सिर्फ खुद के बारे में सोच रखने की प्रवृत्ति को बताता है. यह मनुष्य के स्वास्थ्य को प्रदर्शित करता है और यह भी बताता है कि इंसान जब समाज को छोड़कर सिर्फ अपनी इच्छाओं को पूरी करने में लग जाता है तो देश का भला नहीं बल्कि सिर्फ बुरा होता है.
भ्रष्टाचार के दुष्प्रभाव
- इसकी वजह से लोगों की आम समस्याओं जैसे बिजली पानी सड़क जैसी मूलभूत आवश्यकताएं भी पूरी नहीं हो पाती.
- सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं योजनाओं का लाभ सीधे तौर पर गरीबों तक नहीं पहुंच पाता.
- इसके वजह से भाई भतीजावाद को बढ़ावा मिलता है और इसकी वजह से कई योग्य युवाओं को उनकी कैरियर बनाने में मुश्किल का सामना करना पड़ता है.
- अमीर और अमीर होते जाते हैं गरीब और गरीब होते जाते हैं.
- कानून व्यवस्था और लचीली हो जाती है.
- यह कालाबाजारी को बढ़ावा देती है और चीजों की कीमत बढ़ती चली जाती है.
- जो समाज के मुख्य और जिम्मेदार इंसान होते हैं भ्रष्टाचार में लिपट जाते हैं.
- सरकारी कार्यों में बाधा होती है और लोगों को इससे परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
- इससे देश की छवि खराब होती है और विश्व स्तर रिश्ते में खटास आते हैं.
- यह एक ऐसी बीमारी है जिसकी वजह से देश का विकास रुक जाता है.
भ्रष्टाचार के लिए बना कानून
देश में भ्रष्टाचार से निपटने के लिए एक अधिनियम 1988 ईस्वी में तैयार किया गया था. इस अधिनियम के तहत लागू होने वाला कानून भारत में रहने वाले भारतीयों के साथ-साथ विदेश में रहने वाले नागरिकों पर भी लागू होता है.
इस नियम के तहत कोई भी इंसान जो सरकारी सेवा करता हो राज्य स्तरीय, केंद्रीय, प्रांतीय, या फिर कोई व्यक्ति जो कृषि, बैंक, बिजनेस, शिक्षक, सभी को इस अधिनियम के तहत भ्रष्टाचार में लिप्त होने पर सजा का प्रावधान है. इसकी सजा के लिए एक विशेष न्यायाधीश नियुक्त किए जाते हैं ताकि भ्रष्टाचार जैसी बीमारी को जड़ से उखाड़ कर फेंक आ जा सके.
निष्कर्ष
आज कई देश भ्रष्टाचार की चपेट में हैं. भारत में भ्रष्टाचार से अछूता नहीं रहा है. यहां पर हर प्रकार के कंपनियां है जिसमें आईटी, ऑटोमोबाइल इत्यादि मौजूद हैं जो देश को विकसित करने की दौड़ में शामिल है लेकिन फिर भी यह देश पीछे है. इसकी सबसे बड़ी वजह है भ्रष्टाचार का हर विभाग में होना.
निबंध – 4 (500 शब्द)
परिचय
भ्रष्टाचार कोई नई चीज नहीं है यह सदियों से चली आ रही गंदी बीमारी है जिससे समास प्रतिदिन गंदा से गंदा होता चला जा रहा है. यह किसी भी देश की अर्थव्यवस्था एवं राजनीति को खोखला कर देती है.
जब कोई ऐसा इंसान जो एक खास पद पर बैठा हो और भ्रष्टाचार का शिकार हो तो किसी भी देश के लिए दुर्गति ही होगी.
भ्रष्टाचार करने वाले लोग कई तरीके से सिर्फ अपने फायदे के लिए देश हित के लिए गए निर्णय को नकारते हैं और सिर्फ खुद की प्रगति के बारे में सोचते हैं. अपने पद का गलत फायदा उठाते हुए वे रिश्वतखोरी, कालाबाजारी इत्यादि करते हैं और समाज के साथ-साथ देश को भी नुकसान पहुंचाते हैं.
भ्रष्टाचार की परिभाषा
भ्रष्टाचार दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है भ्रष्ट + आचरण जिसका शाब्दिक अर्थ है बुरा आचरण.
भ्रष्टाचार के अंतर्गत कई प्रकार की क्रियाएं आती है जैसे किसी को ब्लैकमेल करना, टैक्स की चोरी करना किसी को घूस देना, यानी कि रिश्वत देना, नकल करके पास करना, चुनाव में धांधली करना, जबरदस्ती चंदा वसूलना, गलत समाचार लोगों तक पहुंचाना, पैसे खा कर वोट देना इत्यादि.
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि एक अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने 2017 की सर्वे में बताया कि किस देश में कितना भ्रष्टाचार है. जिसमें भारत भ्रष्टाचार में 81 वां स्थान पर मौजूद है.
भ्रष्टाचार का विस्तार
हमारे देश भारत के न्यू भ्रष्टाचार के चपेट में आ चुकी है और शायद ही कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जिनमें भ्रष्टाचार नाम यहां पर भ्रष्टाचार हर क्षेत्र में दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है एवं कहां बाजारी की समस्या भी आम हो चुकी है. अस्पताल में जाते हैं तो वहां पर गलत तरीके से इलाज किया जाता है और जहां पर ऑपरेशन करने की जरूरत ना हो पैसे लेने के लिए जानबूझकर मरीज को खतरे में डाला जाता है.
इसके अलावा पर जितने भी होने वाले काम है ऑफिस से पैसे की डिमांड करते हैं, जो परीक्षाएं लिखी जाती हैं उनमें भी विद्यार्थियों को अच्छे नंबर पैसे लेकर दे दिए जाते हैं, रिश्वत देकर काम करवाना, परीक्षा में अंको का गलत मूल्यांकन करना, शराब बैन होते हुए बेचना, टैक्स की चोरी करना इत्यादि
आज के समय में शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार काफी बढ़ चुका है. शिक्षा के क्षेत्र में भी तरह-तरह के फीस की वसूली की जाती है जो कि बहुत ज्यादा होती है. इसके अलावा स्वास्थ्य के क्षेत्र में आने वाले खर्च एक आम इंसान के लिए पूरे करना बहुत मुश्किलों भरा हो जाता है.
भ्रष्टाचार के मुख्य कारण
- अमीर बनने की चाहत का होना.
- पावर पाने की इच्छा
- समाज में झूठी प्रतिष्ठा बनाने की इच्छा रखना
- कम मेहनत करके पैसे कमाने की इच्छा
- अपने स्वास्थ्य के लिए गलत कभी समझना
- गरीबी, मार महंगाई की मार, जनसंख्या वृद्धि, बेरोजगारी और व्यक्तिगत स्वार्थ
- पैसे को सबसे अधिक महत्व देना
- नैतिकता के पथ को छोड़ना
निष्कर्ष
भ्रष्टाचार एक देश की सीमा तक ही सीमित नहीं है. यह एक अंतरराष्ट्रीय समस्या बनकर उभरा है., हर साल सबसे भ्रष्ट देशों की सूची जारी की जाती है जिसमें अंक तालिका में सबसे भ्रष्ट को ऊपर रखा जाता है और कम भ्रष्ट देश को नीचे रखा जाता है.
इस समस्या का सबसे बड़ा कारण है सही रास्ते को छोड़ना और गलत रास्ते पर चलना.