आज हम अगर कम्प्यूटर का नाम सुनते तो हमारे दिमाग में तरह–तरह के विचार आते है क्योंकि यह उपकरण ही ऐसा है जिसके लिए मस्तिष्क में विचार उत्पन्न होना जाहिर सी बात है. इसीलिए ये जानना भी जरुरी है की कम्प्यूटर का इतिहास क्या है?
क्योंकि आज कम्प्यूटर के उपयोग ने दुनिया में एक क्रान्ति लायी है.
आज विश्व के प्रत्येक देश के विभिन्न क्षेत्रों में (जैसे – व्यवसाय, मीडिया, औद्योगिकी, रक्षा आदि) सरकारी, गैर सरकारी कार्यालयों आदि में इसका उपयोग अत्यन्त महत्वपूर्ण रूप से किया जा रहा है.
आज हर कोई तकनीकी पर ज्यादा निर्भर है और ये सब कम्प्यूटर तथा उसके तीव्र गति से विकास से संभव हुआ है.
अगर आप कम्प्यूटर के बारे में नए तरीके से व विस्तृत रूप से जानना चाहते हो तो ये लेख आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होने वाला है इसलिए इसे अन्त तक पढ़े.
कम्प्यूटर का अर्थ?
यह एक ऐसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस या मशीन है जो इनपुट किए डेटा व निर्देशो की अंकीय तथा तार्किक रूप से गढ़ना करके आउटपुट में सूचनाओ को रिजल्ट के रूप में देती है।यह घंटो के काम को मिनटों में कर देता है.
इसे डॉक्युमेंट को टाइप करने, किसी को मेल भेजने, गेम खेलने व मनोरंजन आदि के लिए भी यूज किया जाता है.
वर्तमान में तो मानव चांद व मंगल ग्रह पर पहुंच गया है ये सब तकनीकी के द्वारा हुआ है जो कम्प्यूटर के द्वारा संभव हो सका है ये सब वैज्ञानिकों की मेहनत का नतीजा है.
कम्प्यूटर से सम्बन्धित कुछ कड़ियां
कम्प्यूटर का इतिहास काफी पुराना है. यह लगभग 2500 बर्ष पुराना है. कुछ साक्ष्यों के आधार को देखा जाए तो ये लगभग 3000 वर्ष पुराना है.
इसकी शुरुआत सबसे पहले चीन में अबेकस के रूप में हुई थी. ऐसे ही छोटे-छोटे उपकरणों का आविष्कार हुआ।फिर इन उपकरणों में धीरे-धीरे विभिन्न प्रकार के बदलाव व सुधार किए गए तब जाकर “आधुनिक कम्प्यूटर” का निर्माण हो सका.
इसके निर्माण में लगे प्रयासों, प्रयोगों आदि की विस्तृत जानकारी को ही ” कम्प्यूटर के इतिहास” के रूप में जानते है.
अबेकस
सबसे पहले चीन में अबेकस का आविष्कार हुआ। यह एक कैलकुलेशन यंत्र था. इसमें लकड़ी की एक रैक या फ्रेम लगी होती थी जिसमें दो तार लगे होते थे.
ये दोनों तार एक दूसरे के समांतर क्रम में होते थे. इन तारों में पकी हुई मिट्टी के गोले पिरोए हुए होते थे जिसको ऊपर-नीचे या इधर-उधर करके अंकों की गणना की जाती थी.
इसका उपयोग व्यापारी अपने व्यापार का हिसाब करने करते थे क्योंकि इस मशीन द्वारा जोड़, गुणा, घटाव, भाग आसानी से हो जाता था.
आज भी इसके मॉडर्न रूप का चीन जापान जर्मनी तथा एशिया कें विभिन्न देशों उपयोग होता है.
ब्लेज पास्कल या पास्कलाइन
सत्तरह वी शताब्दी में एक फ्रेंच गणितज्ञ व वैज्ञानिक हुए जिनका नाम था ब्लेज पास्कल.
जब यह मात्र 19 वर्ष के थे तब उन्होंने 1569 ई वी एक अंकिय गणना यंत्र का आविष्कार किए जिसे ब्लेज पास्कल नाम दिया.
यह एक मैकेनिकल डिजिटल कैलकुलेटर मशीन थी।इस मशीन में पहियो की श्रंखला थी जिसमे नंबर लगे थे जिसे डॉयल करना या घुमाना पड़ता था.
इसे एडिंग मशीन भी कहते है क्योंकि यह केवल जोड़ कर सकती थी.
यह घड़ी वी ऑडोमीटर के सिद्धांत पर कार्य करती थी. इस मशीन को पास्कलाइन भी कहते है.
यह अबेकस से अधिक तीव्र गति से काम करती थी. पास्कल पहले ऐसे आधुनिक वैज्ञानिक हुए जिन्होंने कैलकुलेटर का विकास किया.
नेपियर बोन्स
इस यंत्र का भी अविष्कार सत्तरह वी शताब्दी में सन् १६१७ ईसवी में एक अंग्रेजी गणितज्ञ जॉन नेपियर ने किया था.
यह गणना करने वाला उपकरण था जिसे नेपियर बोन्स नाम दिया गया.
यह एक आयताकार मशीन थी जिसका उपयोग जोड़, गुणा भाग आदि के लिए किया जाता था.
कम्प्यूटर के विकास में नेपियर जी महत्वूर्ण योगदान रहा है. ये अपने आविष्कार “लॉग अर्थिम” की वजह से अत्यधिक प्रसिद्ध है.
इनके लॉगम का प्रयोग से किसी भी जटिल समस्या को बहुत ही कम समय में हल करने में किया जाता है था.
जेकार्ड लूम
बुनकर जोसेफ जेकार्ड ने सन् 1801 मे एक ऐसे यंत्र का आविष्कार किया जो डिज़ाइन को छिद्रयुक्त पंचकार्डो से नियंत्रित करता था.
जेकारड जी एक फ्रांसीसी वैज्ञानिक थे.
इनके इस यंत्र की यह खासियत की यह कपड़े के डिजायन को कार्डबोर्ड के छिद्रयुक्त पंचकार्ड पैटर्न से बनाता था. पंच कार्ड पर चित्रों की उपस्थिति तथा अनुपस्थिति से धागो को निर्देशित किया जाता था.
एनालिटीकल व डिफ्रेन्सियल इंजन
चार्ल्स बेबेज को आधुनिक कम्प्यूटर का जनक माना जाता है. इन्होंने पास्कलाइन से प्रेरणा लेकर सन् 1922 में एक इंजन का अविष्कार किया जिसे हम एनालिटीकल व डिफ्रेन्सियल इंजन के रूप में जानते है.
इन्होंने इस तरह की अनेक मशीनों का निर्माण किया जो सही तरीके से गणना कर सकती थी.
इन्होंने एनालिटीकल इंजन के रूप में सबसे पहले सामान्य कम्प्यूटर का निर्माण किया था जिसके आधार पर आज के कम्प्यूटर का निर्माण किया जाता है.
इसलिए इन्हे कम्प्यूटर का जनक तथा पिता भी कहा जाता है.
यह एक ब्रिटिश गणितज्ञ थे.
इन्होंने एक ऐसे कम्प्यूटर की परिकल्पना की थी जो स्वचालित हो लेकिन वो इसे पूरा ना कर सके जिसे हर्थन होलेरीथ नमक वैज्ञानिक ने पूरा किया.
कंप्यूटर का विकास जेनरेशन के आधार पर
अब आपको हम अपने आगे के लेख में कंप्यूटर का विकास जेनरेशन के आधार पर बताएँगे जो निम्न है:
प्रथम पीढ़ी
सबसे पहले भारी भरकम कंप्यूटर की शुरुआत हुई थी.
ये 1940 से 1957 तक चले। इस पीढ़ी के कम्प्यूटर का आकार व साइज बहुत बड़ा होता था। यह कमरे के बराबर हुआ करते थे.
इनके टूटने फूटने का अत्यधिक डर रहता था. ये ऊष्मा का उत्सर्जन अत्यधिक मात्रा में किया करते थे इसलिए इन्हे ठंडा करने की अधिक आवश्यकता पड़ती थी.
इनके मुख्य उपकरण वैक्यूम ट्यूब तथा मैगनेटिक ड्रम हुए करते थे। इस तरह के कम्प्यूटर में भाषा कोडिंग के रूप में 0 तथा 1 का प्रयोग किया गया था। इस पीढ़ी का सबसे पहला कम्प्यूटर इनिक था.
द्वितीय पीढ़ी
ये पीढ़ी सन 1947 से 1963 तक चली। इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में वैक्यूम की जगह ट्रांजिस्टर का उपयोग किया गया था.
यह थोड़े हल्के हुए करते थे.
थोड़े उनके अपेक्षा बेहतर भी थे तथा आकार में भी प्रथम पीढ़ी से छोटे थे साथ ही ये पहले के कम्प्यूटर की तुलना में कम ऊष्मा का उत्सर्जन करते थे तथा इनकी कार्य करने की गति भी तेज थी.
तृतीय पीढ़ी
इस पीढ़ी में इंटीग्रेटेड सर्किट का इस्तेमाल किया गया है. इसमें ट्रांजिस्टर की जगह चिप का इस्तेमाल किया गया.
यह सिलिकॉन धातु से बनी होती थी. इस पीढ़ी में दोनों पीढ़ी से बेहतर हल्के,अधिक क्षमता वाले तथा गति में तीव्रता देने वाले कम्प्यूटर का निर्माण किया गया.
इस दौर के कम्प्यूटर बहुत अधिक विश्वसनीय तथा एक ही समय में अधिक से अधिक प्रोग्राम चलाने सक्षम थे.
इस समय के कम्प्यूटर का इस्तेमाल मुख्यता पर्सनल कम्प्यूटर के रूप में किया जाता था। यह पीढ़ी सन १९६३ से १९७१ तक रही।
चौथी पीढ़ी
इस पीढ़ी का समय 1971 से अब तक है. आज जो हम लोग कम्प्यूटर का इस्तेमाल कर रहे है ये इसी समय से चले आ रहे है.
यहां तक कि आज हम जो गोद में रखकर लैपटॉप चलाते है बो इसी जेनरेशन के मेहनत का नतीजा है. माइक्रोप्रोसेसर के उपयोग करने से इसका आकार काफी चोता हो गया है जिसके कारण ही हम इसे अपने साथ कहीं भी ले जा सकते है.
ये तो पहले कि सभी पीढ़ियों में से सबसे अच्छे, आकार, आकृति में छोटे तथा तीव्र गति बाले है. इस पीढ़ी की तकनीक को वी एल एस आई (वेरी लार्ज स्केल इंटीग्रेशन) कहते है.
पांचवी पीढ़ी
ये अगली पीढ़ी है जो पूरी की पूरी भविष्य पर आधारित है तो जाहिर सी बात है तो इसके कम्प्यूटर भी भविष्य पर पर ही निर्भर करते है.
इस पर अभी काम चल रहा है और कुछ हद तक तो सफलता भी मिल गई है। ये कम्प्यूटर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित हैं.
ये अपने काम खुद करने में सक्षम होंगे। इनमें यू एस एल आई ( अल्ट्रा लार्ज स्केल इंटीग्रेशन ) तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। इस तरह की तकनीक को आप रोबोट आदि मशीनों में देख सकते है.
भारत में कम्प्यूटर
भारत में कम्प्यूटर लाने का श्रेय डॉक्टर डविस दत्ता को जाता है जिनके द्वारा सबसे पहले सन 1972 में कोलकाता की भारतीय विज्ञान संस्थान में लाया गया था. यह एक एनालॉग कम्प्यूटर था.
परन्तु भारत में सच में कम्प्यूटर की शुरुआत तो सन 1956 से हुई सबसे पहला इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर तथा डिजिटल कम्प्यूटर एच ई सी-2 एम को कोलकाता भारतीय विज्ञान संस्थान के अंदर लाया गया था.
इस कम्प्यूटर के आने से जापान के बाद भारत एशिया का ऐसा दूसरा देश बन गया था जिसने कम्प्यूटर की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया था.
फिर कुछ समय बाद सुन १९५८ में “यू आर एल” नाम के कम्प्यूटर को कोलकाता की भारतीय सांख्यिकी संस्थान में लगाया गया.
इसे रूस से खरीदा गया था.
ये आकार में “एच इ सी – 2 एम ” से भी बड़ा था.
अभी तक भारत में जितने कम्प्यूटर का इस्तेमाल किया गया उन सभी को दूसरे देशों से खरीदा गया था.
फिर सन 1966 में भारत की ही दो संस्थाओं (भारतीय सांख्यिकी संस्थान और जादवपुर यूनिवर्सिटी) ने मिलकर भारत में ही एक कम्प्यूटर बनाया जिसे नाम दिया “आई एस आई जे यू” .
यह एक ट्रांजिस्टर युक्त कम्प्यूटर था और इसके बाद धीरे-धीरे भारत में ही कम्प्यूटर बनने लगे.
भारत में सबसे पहला सुपर कम्प्यूटर नब्बे के दशक में सन 1991 में बनाया गया था जिसे “परम-8000” के नाम से जाना जाता है.
आज भारत में बड़े-बड़े लेटेस्ट कम्प्यूटर बड़ी-बड़ी अच्छी कंपनियों द्वारा बनाए जाते है.
आज भारत के पास कई और सुपर कंप्यूटर है जो इससे ज्यादा शक्तिशाली तथा क्षमता वाले है.
लेकिन परम-8000 की बात अलग ही थी उसके कारण ही भारत में डिजिटल दुनिया की शुरुआत हुई.
उससे इतना आत्मविश्वास बढ़ गया कि भारत ने कई सारे और सुपर कम्प्यूटर बना डाले.
निष्कर्ष
कंप्यूटर आज दुनिया भर में दिन प्रतिदिन एक नई क्रांति पैदा कर रहा है.
हर क्षेत्र में इसका उपयोग बढ़ता जा रहा है, इसलिए कंप्यूटर के बारे में उचित जानकारी होना सभी के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो गयी. क्योंकि अब इसका डेली लाइफ में सभी इस्तेमाल करते है तो बेशक इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी होना जरूरी होता है.
बस इन्ही कुछ बातों को ध्यान में रखते हुए आज हमने अपने इस लेख के माध्यम से कम्प्यूटर का इतिहास क्या है? शुरू से लेकर अब तक इस के बारे में अवगत कराया.
आशा करता हूँ कि आपको दी गयी जानकारी अच्छी लगी होगी. दोस्तों अगर पोस्ट में दी गयी जानकारी अच्छी लगी हो तो प्लीज इसे शेयर ज़रूर करे.