आपको ये जरुर मालूम होगा की भूकंप क्या है (What is Earthquake in Hindi) और भूकम्प के प्रकार और कारण क्या क्या होते हैं? शायद आपको इस के बारे में अधिक जानकारी न हो लेकिन ये तो आप समझते ही होंगे की प्राकृतिक विपदाओं में भूकंप ही एक ऐसी विपदा है जो सबसे ज्यादा घातक विपदा है इसीलिए हर इंसान के लिए इस की जानकारी का होना बहुत जरुरी है.
आप को इस पोस्ट के माध्यम से हम बताएँगे की भूकंप की परिभाषा क्या है और इससे बचने के उपाय क्या हैं?
भूकंप शब्द का अर्थ है = भू+कम्पन यानि की ज़मीन का कांपना. जब भी पृथ्वी की सतह का हिलना शुरू होता है तो इसकी वजह से लिथोस्फेर (क्रस्ट और ऊपरी मैंटल) में अचानक ऊर्जा निकालनी शुरू होती है जिससे भूकम्पीय तरंगे बनती है इसे ही सिस्मिक तरंगे भी बोला जाता है.
ये इतना घातक है इसीलिए हर किसी को ये जानना बहुत ही जरुरी है की आखिर भूकंप क्या होता है (What is Earthquake in Hindi) और इससे बचने के उपाय इन हिंदी क्या क्या हैं.
भूकंप क्या है – What is Earthquake in Hindi?
पृथ्वी के भूपटल में जब तनाप उत्पन्न होता है या ज्वालामुखी क्षेत्रों में मैग्मा के उत्पन्न हलचल के कारण पृथ्वी की सतह का हिलना या कांपना, भूकंप कहलाता है. भूकंप एक प्रकार की प्राकृतिक आपदा जो बहुत ही विध्वंशक माना जाता है. इससे दुनिया में बहुत तबाही होती है.
भूकंप या जलजला के झटके छोटे से लेकर बड़े हर तरह के असर डालने वाले हो सकते हैं. ये इतने हलके भी हो सकते हैं की इंसान को ऐसा महसूस होगा की उसे चक्कर आ रहा है या फिर इतना भयानक हो सकता है की पूरी जगह को बर्बाद कर के भरी जान और माल का नुक्सान कर सकता है.
जब भी पृथ्वी के किसी भी भाग में लोगों का इसे पाला पड़ता है लोगों को हमेशा ही भारी तबाही का सामना करना पड़ा है. ये काफी विनाशकारी साबित होता है और इसमें अनेकों बार मानव जीवन की भी हानि होती है.
ये जब उत्पन्न होता है तो इसका क्षेत्र काफी फैला हुआ होता है जिसकी वजह से इसका असर इस के अंदर आने वाले क्षेत्र में बहुत घातक होता है.
हाल ही में नेपाल में आये भूकंप ने प्रकृति के विनाशकारी चेहरे को लोगों ने करीब से अनुभव किया और कई जिंदगियां इसकी वजह से ख़तम हो गई.
कई प्राकृतिक विपदाओं को वैज्ञानिक बहुत अच्छे से समझते हैं लेकिन भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक विपदा है जिसके आने के पहले इसका सही सही अनुमान लगाना बहुत कठिन होता है.
इसके आने का सही समय ही पता कर पाना बहुत मुश्किल हो जाता है. पृथ्वी शुरू से ही कई प्राकृतिक विपदाओं को झेलता आ रहा है. पृथ्वी के वातावरण में अनेक तरह के बदलाव भी देखने को मिला है.
लेकिन अगर हम भूकंप की बात करें तो ये विनाशकारी तो है ही लेकिन इसके साथ सबसे बड़ी दुःख की बात ये है की इसकी सटिक भविष्यवाणी करना आज भी बहुत मुश्किल है. आज भी इसके बारे में वैज्ञानिक सही सही अनुमान लगाने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं.
भूकंप की परिभाषा
जब पृथ्वी की भूपर्पटी या जवालामुखी क्रिया करती है तो उसके परिणामस्वरूप ज़मीन का हिंसक रूप से हिलना भूकंप कहलाता है. हिंसक का मतलब जिससे जान माल का नुक्सान होता है.
ये धरती मुख्य रूप से चार परतों से 4 परतों से बनी हुई है जिनके नाम भूपर्पटी या क्रस्ट (ये एक ठोस परत है) , इसके बाद दूसरी परत है मैंटल (जो बहुत ही मोती परत होती है) तीसरी परत है आउटर कोर (ये तरल यानि लिक्विड अवस्था में होती है) फिर चौथी परत है इनर कोर (ये ठोस अवस्था में होती है).
क्रस्ट और ऊपरी मैंटल को मिलाकर लिथोस्फेर बोला जाता है. इस की मोटाई करीब 50 किलोमीटर होती है जिसे टैक्टोनिक प्लेट्स बोलते हैं. टैक्टॉनिक्स प्लेट्स बहुत ही धीमी गति से हिलती और खिसकती रहती हैं और सालभर में करीब 4-5 मिमी के आसपास खिसक जाती हैं.
इसकी मूवमेंट की दिशा horizontal और vertical दोनों तरह के होते हैं. इसी दौरान ये प्लेटें एक दूसरे से दूर भी जाती हैं और एक दूसरे के करीब भी आती हैं.
इसी बीच नज़दीक आती प्लेटें कभी कभी एक दूसरे से टकरा भी जाती हैं. इस टक्कर की वजह से ही भूकंप आती है. टेक्टोनिक प्लेट्स पृथ्वी सतह से 30-50 किलोमीटर नीचे है.
ये जो हमारी धरती है ये कुल कई टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है जिसमे 7 प्लेट्स बड़े हैं और बाकी छोटे प्लेट्स हैं और इसके नीचे liquid form में लावा है जिन पर टैक्टोनिक प्लेटें तैर रही हैं.
Seismicity या फिर siesmic activity वो होता है जो ये बताता की किसी एरिया में किसी एक ख़ास समय अंतराल में जलजला की फ्रीक्वेंसी क्या है यानि कितनी बार आती है, किस प्रकार का भूकंप है और कितने साइज का है.
दुनिया हर साल इस के अनगिनत झटके सहती है. अधिकतर समय तो ये बहुत ही मामूली होता है और कभी कभी भरी तबाही मचाने वाला जिसमे बहुत भयानक जान और माल का नुक्सान होता है.
ज़मीन के धीरे धीरे हिलने या फिर खिसकने की वजह से भी भूकंप की शुरुआत हो सकती है. जब एक बहुत बड़े भूकंप का केंद्र समुद्र के आसपास का इलाका हो तो समुद्री सतह विस्थापित होकर सुनामी का भी रूप ले सकती है. भूकंप, भूस्खलन (landslide) और ज्वालामुखी को भी trigger कर सकती है.
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भकंप के कारण
जैसा की हम पहले ही जान चुके हैं की भूकंप पृथ्वी की सतह के नीचे स्थित टेक्टोनिक प्लेट्स के टकराने से शुरू होती है. जब टेकटोनिक प्लेट्स टकराती हैं तो तो इससे ये एक प्लेट दूसरे के ऊपर चढ़ जाता है इसकी वजह से पहाड़ का निर्माण, भूकंप और जवालामुखी की शुरुआत होती है.
टेकटोनिक प्लेट्स की जो बॉउंड्री होती है वो एक तारथ से fault surface बनाती हैं यही वजह है की इनके बीच में जो relative motion होता है उसकी वजह से इन प्लेटों के बीच में तनाव बढ़ता है.
यह तब तक जारी रहता है जब तक की तनाव बढ़ता है और ये टूट जाता है इस दौरान ऊपर का जो बंद सतह होता है यानि प्लेटों के बीच का fault surface फिसल जाता है और इस तरह stored energy shock wave के रूप में निकलता है.
पृथ्वी के सतह पर जो vibration सेटअप होता है और उसके source point यानि की केंद्र से चरों दिशाओं में फैलते हैं.
पृथ्वी के ठोस सतह पर उत्पन्न इस तरह के कम्पन की कई वजह हो सकती है जिन में कुछ बड़ी और कुछ छटे कारण भी होती हैं. कुछ जलजले तो artificial होते हैं और अधिकतर प्राकृतिक यानि नेचुरल लेकिन ये बात सच है की सभी तरह के जलजला की वजह भूपर्पटी का disequilibirum होना.
चलिए जानते हैं भूकंप पैदा होने के कुछ बड़े कारणों के बारे में
टेकटोनिक प्लेट्स: Plate Techtonic के सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी की सतह में 15 के आसपास प्लेटें हैं जिनके ऊपर में कठोर मैंटल, महासागरीय और महाद्वीपीय क्रस्ट होते हैं. सभी प्लेटों में 7 प्रमुख प्लेटें हैं बाकी छोटी प्लेटें हैं. ये प्लेटें हमेशा मूवमेंट में रहती हैं और ये वैज्ञानिक शोधों से proved है की tectonic, seismic, और volcanic गतिविधियां प्लेट मार्जिन पर होती हैं.
यही वजह है की जलजलाऔर जवालामुखी narrow और semi continuous बेल्ट में पायी जाती है. जो ज्यादतर प्लेट बॉर्डर के आसपास तक ही शुरू होती है.
ज्वालामुखी: ये आमतौर पर टेकटोनिक प्लेटों की गति से जुड़े होते हैं. अधिकतर ज्वालामुखी, ज्वालामुखी अर्क का हिस्सा होते हैं. जहाँ भी ज्वालामुखी होते हैं सतह की तरफ मैग्मा का आना जाना होता रहता है. इस आवागमन की वजह से कंप आ
मानव जनित कारक: कभी कभी प्रकृति के साथ इंसानो का छेड़छाड़ आर्टिफीसियल जलजले का कारण बनता है. Nuclear टेस्ट की वजह से shock waves पैदा होती है जिसके रिजल्ट से एक आर्टिफीसियल भूकंप पैदा होता है.
इस तरह का मानव निर्मित कम्पन्न छोटे मोठे ज्वालमुखी के बराबर होती है. कई बार तो ऐसा होता है की लड़ाई के लिए बनाये जा रहे सामान में भी विस्फोट के कारण छोटा कम्पन्न पैदा हो जाता है.
जो पहाड़ी इलाके होते हैं वहां रोड बनाने के लिए विस्फोट कर के चट्टानों को तोडा जाता है. खनिज पदार्थ निकालने के लिए भी और साथ ही तालाब, बाँध निर्माण के लिए विस्फोट कर के चट्टानों को तोड़ कर गड्ढा बनाया जाता है. इन सभी वजहों से छोटे मोठे जलजला पैदा होते हैं.
भूकंप के प्रभाव
भूमि कम्पन: ज़मीनी झटके भूकंप का सबसे अधिक परिचित प्रभाव है जो इसकी वजह से पैदा होता है. यह भूकम्पीय तरंगों का ज़मीन में फैलने की होने वाला रिजल्ट है.
इस तरह का कंपन छोटे से छोटा हो सकता है और बड़े से बड़ा विनाशकारी भी हो सकता है. इसका सबसे बड़ा उद्दाहरण है नेपाल में आया भूकम्प जिसने काफी तबाही मचाई थी.
इसका प्रभाव क्षेत्र भारत के भी कई इलाके में था. इसने अप्रैल 2015 में नेपाल में इतनी तबाही मचाई जिससे 9000 लोगों की जान गई और 22000 लोग घायल हुए.
इस में इमारते टूट सकती है जानवरों और इंसान का खड़ा होना मुश्किल हो जाता है. चीज़ें इधर उधर हो जाती है. अगर रिक्टर पैमाने पर 9 तीव्रता की जलजला आ जाये और आप बाहर खुले मैदान में खड़ा रहो तो मरने का चांस ना के बराबर है.
भूस्खलन: भूकंप की वजह ज़मीन के टूटने और और ढलान में खिसकने की वजह से उत्पन्न होने वाले प्रभाव को भू स्खलन कहा जाता है. भूस्खलन के चपेट में आने वाले इमारतें को ये पूरी तहा से बर्बाद कर सकता है. पहाड़ी इलाके में बनाये घर बहुत ही आसानी से बर्बाद हो सकते हैं. आने आ
सुनामी: सुनामी क्या है ये तो आपने सुना ही होगा भयंकर प्रभाव आपने समाचार में भी देख चूका होगा की जब ये आता है तो कितनी तबाही लाता है.
जब भूकंप का केंद्र समुद्र तल में होता है तो समुद्री लहरों की लगतार तरंगों की वजह से इसके किनारों में काफी बुरा रिजल्ट देखने को मिलता है. इंडोनेशिया में 2005 में आया सुनामी बहुत अधिक विनाशकारी साबित हुआ और इसका प्रभाव भारत, श्रीलंका तक भी पहुंचा.
सुनामी समुद्री लहरों की एक श्रृंखला होती है जो एक के बाद एक बहुत ही तेज़ रफ़्तार से किनारे तक पहुँचती है गहरे समुद्र में सुनामी की गति 700 किमी प्रति घंटा मापा जा चूका है.
इनके लहरोंकी ऊंचाई 27 मीटर यानि 90 फ़ीट तक हो सकती है. ये एक श्रंखला के रूप में आती है इसलिए शुरुआत में ये कम हो सकती है और फिर अचानक सबसे ऊंचाई वाली लहर भी आ सकती है. आ
ज़मीन में दरार आना: ज़मीन का टूटना भी एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रभाव है. जब भूकंप की गति से पृथ्वी की सतह टूट जाती है तो इसे rupture कहते हैं.
मनुष्यों के लिए ये बहुत ही बुरा परिणाम पैदा करता है जैसे पाइप लाइनों का तोडना, सुरंग, रैलवे लाइन, सड़क, हवाई अड्डे को बहुत ही बुरा असर करती है.आ
आग लगना: भूकंप आने के आग लगने से काफी बर्बादी और नुक्सान होता है. इसकी वजह से ज़मीन फटने से प्राकृतिक गैस में भी आग लग जाती है और पेट्रोल के स्टोर के डैमेज होने के बाद आग लगने से काफी तबाही मचती है.
भूकंप आने की वजह से आग लगने की सम्भावना की काफी अधिक बढ़ जाती है. आजकल लग
द्रवीकरण: ज़मीन का द्रवीकरण भी एक महत्वपूर्ण प्रभाव है जो अक्सर भूकम्पों में बहुत विनाश का कारण बनते हैं. जब जलजला उत्पन्न होता है तनाव की स्थिति में soil अपनी ताक़त खो देती है.
मिट्टी के मामले में इसे soil mechanism बोलते हों. इस में मिटटी पानी के साथ घुल कर एक द्रव्य में बदल जाता है. इसी की वजह से जो मिटटी होती है वो ठोस होने तक ताक़तवर रहती है और बाद में अपनी ताक़त खो देती है.
ऐसी द्रव मिटटी के ऊपर कड़ी इमारत कमज़ोर होने से गिर ऊपर कड़ी इमारत भी गिर जाती है.
भूकंप से बचने के उपाय
- अगर आप किसी भी घर, ऑफिस, इमारत के अंदर हैं तो तुरंत भाग क्र बाहर खुले में जाएँ.
- कभी भी ऐसी स्थिति में बिल्डिंग के आसपास खड़े न रहें.
- अगर आप किसी बिल्डिंग के अंदर में लिफ्ट में हों तो उससे तुरंत उतर जाएँ. ऐसी स्थिति में बिल्डिंग से उतरने के लिए सीढ़ियों का इस्तेमाल होता है.
- घर की इलेक्ट्रिसिटी करंट को ऑफ कर के रखें और हर इलेक्ट्रॉनिक सामान का प्लग बिजली के सॉकेट से बाहर निकाल दें.
- घर के खिड़की दरवाज़े, गेट सभी खुला रखें.
- अगर घर या बिल्डिंग के अंदर फंस जाएँ तो घर में रखे मेज़, चौकी, डेस्क के नीचे छुप जाएँ.
- सबसे महत्वपूर्ण और ध्यान रखने वाली बात ये है की ऐसी स्थिति में बिलकुल अपने आप को शांत रखने की कोशिश करें घबराने की बजाय ये सोचे की इस स्थिति से बाहर कैसे निकले क्यों ऐसी स्थिति में लोगों को आपा खोने की वजह से नुक्सान काफी अधिक होता है.
इसने दुनिया में कई बार काफी विनाश कर चूका है और भविष्य में इसकी वजह से और नुक्सान न हो इसी लिए हमने इससे बचने के उपाय भी बताये हैं जिसे अपनाकर आप इस कठिन स्थिति में खुद के साथ साथ दूसरों को भी सुरक्षित कर सकते हैं.
प्राकृतिक विपदाओं में ये एक ऐसी विपदा है जिसका पता लगाना आज भी बहुत मुश्किल है और वैज्ञानिक निरंतर इसके लिए प्रयास करने में लगे हुए हैं की भविष्य में आने वाले भूकंप की घटनाओं का पहले से पता लगाकर लोगों की जान बचायी जा सके.
संक्षेप में
दोस्तों आपको ये पोस्ट भूकंप क्या है (What is earthquake in hindi) जरूर काम की लगी होगी. आज आपने जाना की भूकंप के कारण, भूकंप की परिभाषा क्या है और इसके प्रभाव क्या हैं? इसके अलावा आपने ये भी जाना की और इसके प्रभाव क्या क्या होते हैं?
हमने आज आपको इस पोस्ट में भूकंप की जानकारी हिंदी में और सरल शब्दों में देने की कोशिश की है जो की उम्मीद करता हूँ की आपको अच्छे से समझ में आ गया होगा में बताये गए सभी तथ्यों को अच्छे से जान चुके होंगे अगर आपको ये पोस्ट काम की लगी हो तो इसे फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप्प में अधिक से अधिक शेयर करें.
What is earthquake