हम जो सांस ले रहे हैं तो वह हमारे पर्यावरण पर निर्भर करता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि पर्यावरण क्या होता है? स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए तो यह एक विषय है जिसके बारे में उन्हें पढ़ना होता है इसलिए आज की पोस्ट में हम आपके लिए पर्यावरण पर निबंध (Essay on Environment in Hindi) तैयार करके लाए हैं।
हम चाहे दुनिया के किसी भी स्थान में हो हमारे चारों तरफ कुछ ना कुछ जरूर मौजूद है इसे ही हम पर्यावरण कहते हैं। हमारे चारों ओर कई प्रकार की चीजें होती हैं जिनमें से कुछ प्राकृतिक रूप से बनी हुई हैं जबकि कुछ अप्राकृतिक यानी कि मानव द्वारा निर्मित है।
पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ होता है चारों तरफ से ढका हुआ यानी कि ऐसा वातावरण जिसके अंदर जीव-जंतुओं पेड़ पौधे सभी ढके हुए होते हैं। यह एक तरह से सुरक्षा कवच की तरह काम करता है। यह वातावरण किसी एक चीज से बनी हुई नहीं है बल्कि इसमें मिश्रित चीजें होती हैं जैसे पेड़ पौधे और इंसान भी इस पर्यावरण के ही अंग है।
इस लेख के माध्यम से हम आपको विभिन्न पर्यावरण पर आधारित निबंध प्रस्तुत करेंगे जो विभिन्न वर्गों में पढ़ने वाले बच्चों जैसे क्लास 5, 6, 7,8, 9 के बच्चों के लिए उपयोगी होंगे और वह अपने स्कूल में इनका प्रयोग कर सकेंगे।
पर्यावरण पर छोटे एवं बड़े निबंध – Short and Long Essay on Environment in Hindi
निबंध – 1 (300 शब्द)
परिचय
पर्यावरण एक सुरक्षा कवच होता है जिसके अंतर्गत सभी जीव जंतु, पेड़-पौधों, सजीव-निर्जीव का वास होता है। यह एक ऐसे वातावरण का निर्माण करता है जिसमें जीवन समाहित होता है। जो सजीव होते हैं उनका विकास होता है और इसके सुरक्षा आवरण की वजह से सूर्य की तेज और हानिकारक किरणों से भी इनका बचाव होता है। जिस प्रकार पर्यावरण मनुष्य जाति के लिए महत्वपूर्ण है ताकि वह फल फूल सके और जिंदा रह सके उसी प्रकार एक साफ सुथरा और सुरक्षित पर्यावरण भी अब मनुष्य के क्रियाकलापों पर निर्भर करता है।
पर्यावरण का महत्व
- पर्यावरण हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है।
- यह हमें ऊर्जा और खाद्य प्रदान करता है।
- पेड़-पौधे हवा को शुद्ध करने में मदद करते हैं।
- जल, हमारे जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- वन्यजनों और पौधों का संरक्षण करना आवश्यक है।
- जलवायु परिवर्तन से बचाव हमारी जिम्मेदारी है।
- जलसंवर्धन से सातत जल सप्लाई सुनिश्चित करें।
- प्लास्टिक प्रदूषण से बचना हमारी जिम्मेदारी है।
- भूमि संरक्षण करना हमारा दायित्व है।
- वृक्षारोपण से हवा को साफ रखें।
- जीवसंरक्षण के लिए नियमित रूप से बचाव करें।
- सावधानी से उपयोग करें ताकि प्राकृतिक संतुलन बना रहे।
निष्कर्ष
आज इंसान का सबसे प्रमुख कर्तव्य यह है कि वह ऐसे संसाधनों का उपयोग ना करें जिससे सीधे तौर पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचता हो। प्रदूषण फैलाने वाले विमानों का उपयोग ना करके ऐसे इंदर का उपयोग करना जरूरी है जो वातावरण के लिए सुरक्षित हो। इसके अलावा कई और बातों पर ध्यान देना जरूरी है जिससे कि प्राकृतिक संसाधन की खपत कम की जा सके और ऊर्जा के संसाधनों को कम से कम इस्तेमाल करके उसे भविष्य के लिए बचाया जा सके।
निबंध – 2 (500 शब्द)
परिचय
पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व का सबसे बड़ा रहस्य यह है कि यहां पर एक ऐसा पर्यावरण है जो जीवो को जिंदा रखने के लिए जरूरी होता है। यहां पर जीवन के लिए उपयुक्त वातावरण मौजूद है और इसके अलावा इनके विकास और खानपान के लिए भी हर प्रकार के चीजें उपलब्ध है। हमारे सौरमंडल में पृथ्वी ही एकमात्र ऐसी ग्रह है जिसकी स्थिति ऐसी है कि यह नजर से ज्यादा नजदीक है और ना ही ज्यादा दूर। अगर इसकी स्थिति थोड़ी इधर उधर भी होती तो यहां पर जीवन संभव ना होता। इसके अलावा अगर यहां पर एक जीवित रहने योग्य पर्यावरण ना होता तो भी जीवन पनपना संभव नहीं था।
पर्यावरण प्रदूषण की समस्या
- उदाहरण के लिए, उच्च वायु प्रदूषण से सास की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
- जलवायु परिवर्तन के कारण अनैतिक्रमण हो रहा है जो प्राकृतिक संतुलन को हानि पहुंचा रहा है।
- औद्योगिक अपशिष्ट प्रबंधन के कारण सूजी और जल स्रोतों में कई समस्याएं हैं।
- अत्यधिक शोर और ध्वनि प्रदूषण से लोगों को समस्याएं हो रही हैं।
- प्लास्टिक उत्पादों का अत्यधिक उपयोग और उनका सही प्रबंधन भूमि और जल प्रदूषण में समस्या बना रहा है।
- अधिशेष और अत्यधिक उपयोग के कारण वन्यजीवों की संरक्षण समस्याएं हो रही हैं।
- समुद्रों में प्लास्टिक कचरे का पुनः प्रयोग जीवों के लिए खतरा बना रहा है।
- जल संकट के कारण सूखा और जल संकट बढ़ रहे हैं।
- अत्यधिक उपयोग के कारण वन्यजीवों की संरक्षण समस्याएं हो रही हैं।
- वन्यजीव संरक्षण क्षेत्रों में अवैध शिकार के कारण जीवों की संख्या कम हो रही है।
- अपशिष्ट और अत्यधिक उपयोग से जल स्रोतों में समस्याएं बढ़ रही हैं।
- उच्च स्तर पर औद्योगिक उत्पादन और प्रदूषण के कारण पानी प्रदूषण में वृद्धि हो रही है।
- वन्यजीवों के लिए सही हैबिटेट की कमी से उनकी संरक्षण समस्याएं बढ़ रही हैं।
- अत्यधिक जनसंख्या और अधिसूचना के कारण जलवायु परिवर्तन में वृद्धि हो रही है।
- अनैतिक्रमण के कारण भूमि उपयोग में समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
नए शहरों के निर्माण के लिए जंगलों को काटा जाता है और अनगिनत पेड़ों की कटाई की वजह से हमारे वातावरण का संतुलन बिगड़ता जा रहा है। ग्लोबल वार्मिंग की समस्या वह पूरी दुनिया समझ चुकी है। पृथ्वी के निरंतर गर्म होने की वजह से यहां पर मौसम में गड़बड़ी और अनियमितता देखी गई।
निष्कर्ष
पृथ्वी हमारा घर है और अपने घर की देखरेख कोई करता है। मनुष्य जाति को भी चाहिए कि जिस प्रकार वे अपने रहने वाले आवास की सुरक्षा करते हैं उसी प्रकार पृथ्वी और इसके वातावरण की भी सुरक्षा करें। जब वातावरण सुरक्षित होगा तभी हम अपने निवास स्थान पर जीवन व्यतीत कर सकते हैं। वातावरण में होने वाले छेड़छाड़ और प्रदूषण को अनदेखा करना हमारे लिए और हमारे भविष्य के लिए भारी मुसीबत का कारण बन सकती है। इससे बचकर हम कहीं भाग नहीं सकते हैं क्योंकि हमें रहना तो पीती नहीं है। समय रहते अगर जागरूक नहीं हो तो फिर हमें कोई नहीं बचा सकता। हमारे जीवन के लिए जरूरी जल, हवा, प्राकृतिक संसाधन को सुरक्षित रख कर हम अपने जीवन के सुरक्षा कर सकते हैं।
निबंध – 3 (600 शब्द)
परिचय
पर्यावरण का अंग्रेजी शब्द “Environment” एक फ्रेंच शब्द से बना हुआ है जिसे “Environ” कहते हैं और इसका शाब्दिक अर्थ होता है आसपास का आवरण जबकि हिंदी में इसे हम पर्यावरण शब्द के रूप में जानते हैं और जिसका अर्थ होता है चारों ओर का आवरण। पर्यावरण एक ऐसा स्थान होता है जहां विभिन्न चीजें एक साथ रह सकती हैं। यह चीजें जीवित हो सकती है निर्जीव हो सकती हैं। जीवित चीजों को जिंदा रहने के लिए उचित संसाधन भी मिलते हैं जिनमें प्रमुख जल, मिट्टी, वायु, सूर्य प्रकाश सम्मिलित है। पृथ्वी पर जीवन लाखों करोड़ों वर्षों से है और शुरुआत से ही प्रकृति ने इसे खुद ही अपने आप चलाया है। लेकिन मनुष्य के इस प्राकृतिक प्रक्रिया में छेड़छाड़ करने की वजह से वातावरण का संतुलन खराब हो चुका है। जिसके संकेत हमें अभी वर्तमान समय में भी देखने को मिल रहा है।
पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारण
प्रदूषण एक बहुत बड़ी समस्या है जो पृथ्वी और मानव जीवन के लिए अभिशाप है। मनुष्य अपने रहन-सहन, जीवन जीने की शैली और विकास के नाम पर प्राकृतिक संसाधनों का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं। जिसकी वजह से प्रदूषण के विभिन्न कारण उत्पन्न हो चुके हैं जो निम्नलिखित हैं:
- उद्योगों का अत्यधिक उत्पादन है.
- वाहनों से वायु प्रदूषण हो रहा है.
- कचरे का अनुचित प्रबंधन है.
- वन्यजीवों की हत्या बढ़ रही है.
- बढ़ती जनसंख्या और विकास की दर से बढ़ रहा है.
- औद्योगिक उपयोग और अत्यधिक उपयोग के कारण.
- वन्यजीवों के निवास स्थानों का नष्ट हो रहा है.
- प्रदूषण नियंत्रण के अभाव में जल संकट है.
- जलवायु परिवर्तन से हवा में अत्यधिक गैसें हैं.
- वृक्षारोपण की कमी और अरबी खेती का असंतुलन है.
- जल, हवा, और भूमि पर अत्यधिक उपयोग हो रहा है.
- अशिक्षितता से लोगों का जागरूकता कम है.
पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार
जल प्रदूषण: फैक्ट्रियों और कारखानों से निकलने वाले रासायनिक पदार्थों को आसपास के जल स्रोतों में फेंक दिया जाता है जिसकी वजह से उस का जल प्रदूषित हो जाती है। ऐसे जल को ग्रहण करने से विभिन्न प्रकार की बीमारियां उत्पन्न होती हैं और जान जाने का भी खतरा होता है।
वायु प्रदूषण: मानव गतिविधियों की वजह से वायु प्रदूषण कई प्रकार से हो सकता है। अधिक यातायात और वाहन के उपयोग से निकलने वाले दुआ हमारे हवा को गंदा कर देता है। इसके अलावा पेड़ों की कटाई की वजह से भी कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती जा रही है। कारखानों से निकलने वाले धुएं की वजह से भी हमारा वातावरण और इसमें मौजूद वायु प्रदूषित हो रही है।
मृदा प्रदूषण: जिस प्रकार से हवा और पानी प्रदूषित किए जाते हैं ठीक उसी प्रकार से मिट्टी का भी प्रदूषण होता है। कारखानों और फैक्ट्रियों से निकलने वाले कचरे को खुले वातावरण के नीचे जमीन में फेंक दिया जाता है या फिर उसे जमीन में गड्ढा खोदकर डाल दिया जाता है जिससे मिट्टी भी प्रदूषित होती है।
कृषि के लिए फसलों के ऊपर रासायनिक दवाओं का छिड़काव किया जाता है और इसकी वजह से मिट्टी की जीवन देने की क्षमता कम होती जाती है। प्लास्टिक और कई ऐसे पदार्थ है जो कभी नहीं सड़ते इन्हें जमीन के अंदर ही डाल दिया जाता है जिससे जमीन और दूषित होती है।
निष्कर्ष
आधुनिकीकरण ने मनुष्यों को इतना महत्वकांक्षी बना दिया है कि उन्होंने पर्यावरण पर ध्यान देना भी बंद कर दिया। मनुष्य के इस स्वार्थी बनने की वजह से ही हमारा वातावरण आज इतना प्रदूषित हो चुका है। हर किसी को जागरूक करने की जरूरत है ताकि समय रहते हम अपने जीवन को और अपने घर को बचा सकें।